देहरादून। कैनवास ऑफ डब्ल्यूआईसी टॉक्स के तहत डब्ल्यूआईसी इंडिया ने लोकेश ओहरी के साथ ‘हेरिटेज एंड मी‘ विषय पर बातचीत सत्र का आयोजन किया। डब्ल्यूआईसी इंडिया द्वारा यह चौथा सत्र आयोजित किया गया। डब्ल्यूआईसी इंडिया की प्रेजीडेंट नाज़िया युसूफ इजुद्दीन ने लोकेश ओहरी के साथ इस सत्र में अ डॉक्टरेट इन एंथ्रोपोलॉजी (मानव शास्त्र) पर बातचीत कर विचारों का आदान प्रदान किया।
लोकेश ने सत्र के दौरान अपनी कला और साहित्य क्षेत्र से जुड़ी यात्रा को साझा किया। उन्होने बताया कि, किस प्रकार से स्पिक मेके ने उन्हें विशिष्ट कलाकारों के साथ बातचीत करने का अवसर दिया। ’रीच’ की स्थापना के बाद लोकेश ने ग्रामीण उद्यमिता के विकास पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने यह भी बताया कि मानव शास्त्र को किस प्रकार उन्होंने पेश किया। लोकेश ने कहा कि, मानव शास्त्र दुनिया को देखने का वैकल्पिक तरीका भी प्रदान करता है।
हेरिटेज पर अपने विचार व्यक्त करते हुये लोकेश ने कहा कि, जो भी हमें पूर्वजों से विरासत में मिला है वह हेरिटेज है, जिसमें हमें सुनाई गयी कहानियां भी शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि, विरासत में मिली चीजों को संरक्षित करने के लिए हमें उन्हें संमझना होगा। हमारे पास प्राचीन समाज होते हुए भी हमने उसे महत्व देना बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि, देहरादून की विरासत के बारे में दस्तावेजों में कोई व्याख्या नहीं की गयी है जिस कारण लोगों को लगता है कि, देहरादून के पास कोई विरासत नही है। लोकेश ’विरासत आटर््स’ व ’हेरिटेज फेस्टिवल’ के संस्थापक हैं व ’इनटैक’ एंड ’रीच’ जैसे संगठनों में लीडरशिप की भूमिका निभा चुके हैं। वह बीन देअर दून दैट ग्रुप के संस्थापक भी हैं, जो हेरिटेज से जुड़े विषयों के बारे में लोगों को जागरूक करने का कार्य करता है।उनके शोध राजनीतिक अनुष्ठानों पर भी केंद्रित हैं। लोकेश के शोध हिमालय पर केंद्रित हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों व पत्रिकाओं के लिए कई पत्रों का लेखन भी किया है। इस अवसर पर भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।