देहरादून। आंखों ही आंखों में नौ माह का वक्फा गुजर चुका है, लेकिन राज्य सरकार में रिक्त चल रहे दो मंत्री पदों के साथ ही दायित्वों का बंटवारा अभी तक नहीं हो पाया है। ऐसे में मंत्री पद व दायित्वों को लेकर पार्टी नेताओं में बेचैनी बढ़ रही है। वजह यह कि अगले साल राज्य में सहकारिता और निकाय चुनावों की चुनौती सिर पर है। सूरतेहाल ऐसे में नेताओं की बेचैनी से पार्टी नेतृत्व का भी बेचैन होना स्वाभाविक है। यही नहीं, सियासी गलियारों में भी इस मामले में सरकार की सुस्ती चर्चा के केंद्र में है। हालांकि, अब सबकी उम्मीदें नए साल पर टिकी हैं। माना जा रहा कि दिल्ली दरबार से हरी झंडी मिलने पर नववर्ष में दायित्वों का तोहफा दे दिया जाएगा।
उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत से सत्तासीन हुई भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में दो मंत्री पर रिक्त रखे गए। संवैधानिक प्रावधान केमुताबिक उत्तराखंड की 70 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम बारह मंत्री हों सकते हैं। गत 18 मार्च को सरकार के शपथ ग्रहण के समय मुख्यमंत्री के अलावा नौ मंत्रियों ने शपथ ली थी। तब माना गया था कि जल्द ही इन्हें भर लिया जाएगा, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई।
यही हाल विभिन्न निगमों, समितियों व बोर्डों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पदों के दायित्वों के बंटवारे को लेकर भी है। ऐसे में मंत्री पद और दायित्व की आस लगाए बैठे दावेदारों को मन मसोसकर रहना पड़ रहा है। हालांकि, दायित्वों के मामले में संगठन की ओर से पूर्व में 32 नामों की सूची फाइनल कर पार्टी हाईकमान को भेज दी गई थी, लेकिन मामला अब भी अटका हुआ ही है।
इस सबके चलते अब पार्टी संगठन की बेकरारी भी बढ़ने लगी है। वजह यह कि अगले साल राज्य में निकाय और सहकारिता के चुनाव होने हैं। यदि मंत्री पद व दायित्वों का जल्द बंटवारा नहीं हुआ तो किसी के नाराज होने की दशा में दिक्कत बढ़ सकती है। असल में निकाय चुनाव भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। उप्र में निकाय चुनावों में भाजपा को जबर्दस्त सफलता मिली, लिहाजा अब ऐसा ही प्रदर्शन उत्तराखंड में भी दोहराने की चुनौती है।
वहीं, पार्टी के भीतर से छन-छनकर आ रही बातों पर गौर तो भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तक पूर्व में यह बात तो पहुंची थी, लेकिन सभी नेतागण गुजरात और हिमाचल चुनावों में व्यस्त हो गए। ऐसे में उत्तराखंड में मंत्री पद व दायित्वों के बंटवारे का मसला अटक गया। माना जा रहा है कि इन दोनों राज्यों में भाजपा सरकारों के शपथ ग्रहण के बाद इस मसले पर बैठक होगी, जिसमें फैसला लिया जाएगा। हालांकि, यह बैठक कब होगी, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।
प्रदेश अध्यक्ष (भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड) अजय भट्ट का कहना है कि सरकार में आवश्यक दायित्व तो दिए ही जाने हैं, जिनका बंटवारा निकट भविष्य में हो जाएगा। रिक्त मंत्री पदों को भरने और दायित्वों के बंटवारे को लेकर फिलहाल कोई जल्दबाजी नहीं है। हिमाचल और गुजरात में भाजपा सरकारों के शपथ ग्रहण के बाद राज्य में सरकार और संगठन के मध्य बैठक होगी। इसमें यदि यह विषय आया तो इस पर चर्चा होगी।