देहरादून: पावर ट्रांसमिशन कार्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) के चर्चित ट्रांसफार्मर घोटाले में शासन की सख्ती के बाद अपर सचिव ऊर्जा व प्रबंध निदेशक (पिटकुल) रणवीर सिंह चौहान ने दो मुख्य अभियंता समेत 11 अभियंताओं को चार्जशीट दे दी है। इन अभियंताओं का जवाब आने पर दोष सिद्ध करने के साथ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। जिन्हें चार्जशीट दी गई है, उनमें मुख्य अभियंता अनिल कुमार व अजय अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता राकेश कुमार व कार्तिकेय दुबे, अधिशासी अभियंता मुकेश बर्थवाल, सतीश कुमार, राजेश कुमार गुप्ता, एसडी शर्मा, मनोज बहुगुणा, शीशपाल सिंह और सहायक अभियंता राहुल अग्रवाल शामिल हैं।
वर्ष 2015 में आइएमपी कंपनी से झाझरा सब स्टेशन के लिए 80 एमवीए (मेगा वोल्ट एम्पीयर) के ट्रांसफार्मर की खरीद का अनुबंध हुआ था, जिसकी कीमत पांच करोड़ रुपये थी। मई 2016 में ट्रांसफार्मर आया, लेकिन यह खराब निकला। इस पर ट्रांसफार्मर कंपनी को वापस भेज दिया गया। गत मार्च, 2017 में मरम्मत के बाद ट्रांसफार्मर बाद वापस आया पर क्षमता के अनुरूप लोड नहीं ले पाया। नियमानुसार ट्रांसफार्मर आने से पहले उसकी टेस्टिंग के लिए पिटकुल से अभियंताओं की टीम भेजी जाती है। कमियां होने के बावजूद टेस्टिंग में टीम ने इसे पास कर दिया।
इस पर तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक एसएन वर्मा ने प्रथम दृष्ट्या जांच के आधार पर मुख्य अभियंता अजय अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता राजेश गुप्ता, अधीक्षण अभियंता राकेश कुमार व अधिशासी अभियंता लक्ष्मी प्रसाद पुरोहित को निलंबित कर दिया था। इसके अलावा मुख्य अभियंता क्रय एवं अनुबंध अनिल कुमार यादव को हल्द्वानी ट्रांसफर किया था, लेकिन शासन स्तर से उनका तबादला रुक गया था।
मई 2017 में तत्कालीन प्रमुख सचिव ऊर्जा उमाकांत पंवार ने मामले की थर्ड पार्टी जांच आइआइटी रुड़की के साथ ही बंगलुरू के सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपीआरआइ) से कराने के आदेश दिए थे। आइआइटी रुड़की ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ट्रांसफार्मर का निर्माण निर्धारित मानकों केअनुरूप नहीं हुआ। ट्रांसफार्मर की गुणवत्ता और गुणवत्ता जांचने वाले अफसरों पर भी सवाल खड़े किए गए।
आइआइटी रुड़की ने सीपीआरआई के साथ इसकी विभागीय जांच कराने की बात कही। ऊर्जा सचिव राधिका झा के निर्देश पर पिटकुल एमडी एवं अपर सचिव ऊर्जा रणवीर सिंह चौहान ने छह सदस्यीय कमेटी गठित की। आइआइटी व कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर शुक्रवार को 11 अफसरों को चार्जशीट दी गई। एमडी पिटकुल ने इसकी पुष्टि की है।
खेल की हुई थी कोशिश
करोड़ों के इस घोटाले को दबाने के लिए न केवल ऊर्जा निगम बल्कि शासन स्तर पर भी ‘खेल’ की कोशिश हुई थी। डेढ़ महीने पहले उप सचिव ऊर्जा, अनु सचिव, अनुभाग अधिकारी स्तर से आइआइटी रुड़की और पिटकुल प्रबंध निदेशक को पत्र भेजा गया था कि इस मामले में सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपीआरआइ) बंगलुरू कराने की आवश्यकता नहीं है। अपर सचिव ऊर्जा रणवीर सिंह चौहान ने इन तीनों अधिकारियों से जवाब-तलब किया क्योंकि, इस संबंध में उच्च स्तर पर कोई निर्णय लिया ही नहीं गया था। इसके अलावा मामले में फंसे अफसरों ने खुद को निकालने के पूरे प्रयास किए, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके। असल में इस मामले में आइआइटी रुड़की ने ट्रांसफार्मर खरीद को ही कठघरे में खड़ा किया था।