देहरादून : मकर संक्रांति का त्योहार हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है। बीते कुछ वर्षों से मकर संक्रांति की तिथि और पुण्यकाल को लेकर कुछ उलझनें हुई हैं। इस साल भी ज्योतिषों में मतभेद नजर आ रहा है। कुछ मकर संक्रांति 14 तो कुछ 15 जनवरी को मनाने की बात कह रहे है। आइए देखें कि यह उलझन की स्थिति क्यों बनी है।
दरअसल, इस उलझन के पीछे खगोलीय गणना है। गणना के अनुसार हर साल सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश करने का समय करीब 20 मिनट बढ़ जाता है। ऐसा उल्लेख मिलता है कि मुगल काल में अकबर के शासन काल के दौरान मकर संक्रांति 10 जनवरी को मनाई जाती थी। अब सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय 14 और 15 के बीच में होने लगा, इसके पीछे संक्रमण काल का होना है।
साल 2012 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी को हुआ था, इसलिए मकर सक्रांति का त्योहार इस दिन मनाया गया। आने वाले कुछ वर्षों में मकर संक्रांति हर साल 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी, ऐसी ज्योतिष गणना कहती है।
इतना ही नहीं करीब 5000 साल बाद मकर संक्रांति फरवरी के अंतिम सप्ताह में मनाई जाने लगेगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस साल सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा।
देवी पुराण के अनुसार, सक्रांति से पहले और बाद के 15 घंटे तक का समय पुण्यकाल होता है। 14 तारीख की दोपहर में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की स्थिति में साल 2018 में मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को ही मनाया जाएगा।
इसका पुण्यकाल सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक होगा जो बहुत ही शुभ संयोग है। इसके पीछे का कारण पुण्यकाल का लाभ है, जो पूरे दिन रहेगा। लेकिन 15 जनवरी को उदया तिथि के कारण भी मकर संक्रांति कई जगह मनाई जाएगी।
इस दिन मकर राशि में सूर्योदय होने के कारण करीब ढाई घंटे तक सक्रांति के पुण्यकाल का दान-पुण्य करना भी शुभ रहेगा। इसलिए इस साल प्रयाग माघ मेले में मकर संक्रांति का स्नान 14 और 15 जनवरी, दोनों दिन रहेगा।