हल्द्वानी। बिना कोई प्रतियोगी परीक्षा पास किए महज अपने हुनर के दम पर महिलाएं आर्थिक मोर्चे पर सफलता का परचम लहरा रही हैं। एमबी इंटर कॉलेज ग्राउंड में चल रहे सरस मेले में महिला स्वयं सहायता समूह इसकी बानगी पेश करते हैं। मेले में लगाए गए सलार प्रतिशत स्टॉल महिलाओं के हैं। कभी दूसरों से काम मांगने वाली महिलाएं आज आत्मनिर्भर हैं और स्वरोजगार के जरिये प्रतिमाह दस हजार रुपये तक की आय कर रही हैं।
नैनीताल जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिये 980 स्वयं सहायता समूह गठित किए गए हैं, जिनमें तकरीबन आठ हजार महिलाएं काम कर रही हैं। हाथों से तैयार ऊनी स्वेटर से लेकर जैविक सब्जी और पहाड़ी दालों के स्टॉल पर महिलाएं अपने उत्पाद बेच रही हैं। एक समूह में दस से बीस महिलाएं कार्य कर रही हैं। मेले में अब तक 186 स्टॉल लग चुके हैं। जिनमें उलाराखंड के अस्सी स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल है।
अल्मोड़ा से सरस मेले में जैविक दालें लेकर पहंुची सुनंदा धौणा बताती हैं कि एक ही स्थान पर एक साथ इतने समूहों के उत्पादों को देखने से जानकारी बढ़ी है। साथ ही हम क्या नया कर सकते हैं इसकी प्रेरणा भी मिलती है।
बिक्री के लिए तीन शिल्प इंपोरियम
स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री के लिए नैनीताल जिले के हल्द्वानी ब्लाक, भीमताल और बेतालघाट गरमपानी में शिल्प इंपोरियम बनाए गए हैं। हल्द्वानी में पहली बार सरस मेला आयोजित किया गया है, जिसमें जिले के स्वयं सहायता समूहों को दूसरे प्रदेशों के समूहों से मिलने व उनके उत्पादों की जानकारी साझा करने का मौका मिला है।
समूह में दस से बीस महिलाएं
बीपीएल परिवार की महिलाएं स्वयं सहायता समूह का गठन कर सकती हैं। राष्ट्रीय योजना के तहत ब्लॉक कार्यालय के माध्यम से समूह गठित किए जाते हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अलावा सरकारी बैंकों से भी समूहों को सहायता दी जाती है। प्रत्येक समूह में कम से कम दस महिलाओं का होना अनिवार्य हैं।
प्रशिक्षण देते हैं मास्टर ट्रेनर
महिला स्वयं सहायता समूहों के कौशल विकास के लिए मास्टर ट्रेनर की व्यवस्था ब्लॉक कार्यालय और जिला मिशन प्रबंधक की ओर से की जाती है। जिसमें समूह की इच्छानुसार विभिन्न उत्पादों को तैयार करने और उन्हें बाजार तक पहुंचाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। देश के दूसरे राज्यों से उन महिलाओं को भी ट्रेनिंग देने के लिए आमंत्रित किया जाता है, जिन्होंने अपने बलबूते सफलता प्राप्त की है।
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समूह में आने से महिलाओं की झिझक दूर हुई है, उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण में स्वयं सहायता समूह बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
-संगीता आर्य, जिला मिशन प्रबंधक, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन