उत्तराखंड की 11 और कृषि मंडियां राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) के नेटवर्क से जुड़ेंगी

देहरादून: केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने उत्तराखंड की 11 और कृषि मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) के नेटवर्क से जोड़ने को मंजूरी दे दी है। इस सिलसिले में बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए हर मंडी को 30-30 लाख की राशि दी जाएगी। उत्तराखंड मंडी परिषद ने इन मंडियों के प्रशासन को पत्र भेजकर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही राज्य की ऐसी मंडियों की संख्या बढ़कर 16 हो जाएगी और लगभग 20 हजार किसानों को लाभ मिलेगा। प्रदेश में मंडियों की संख्या 23 है। इस लिहाज से देखें तो प्रतिशत के हिसाब उत्तराखंड की सबसे अधिक मंडियां ई-नाम के राष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ जाएंगी।

केंद्र सरकार ने अपने पिछले बजट में राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) को सशक्त बनाने और प्रथम चरण में देश की 585 कृषि मंडियों को इससे जोड़ने का ऐलान किया था। इनमें से अब तक 470 ई-नाम से जुड़ चुकी हैं, जिनमें उत्तराखंड की पांच मंडियां भी शामिल हैं। मौजूदा बजट में केंद्र ने शेष 115 मंडियों को इसी साल मार्च तक जोड़ दिए जाने की बात कही है। इस लिहाज से उत्तराखंड के लिए सुकूनभरी खबर है।
कृषि मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार की मांग को स्वीकार करते हुए यहां की 11 और मंडियों को ई-नाम से जोड़ने की मंजूरी दे दी है। ये भी उन 115 मंडियों में शामिल होंगी, जो मार्च तक इस नेटवर्क से जुड़ जाएंगी। इस कड़ी में मंडियों में बुनियादी ढांचा विकसित करने की कड़ी में कवायद प्रारंभ कर दी गई है। देहरादून कृषि उत्पादन मंडी समिति के सचिव विजय थपलियाल के मुताबिक उत्तराखंड मंडी परिषद से मिले निर्देशों के क्रम में देहरादून मंडी में ई-लैब, ट्रेनिंग कक्ष, कंप्यूटर लैब आदि के लिए कसरत शुरू कर दी गई है।
उत्तराखंड के कृषि सचिव डी.सेंथिल पांडियन ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम के नेटवर्क से जुडऩे से किसानों के साथ ही उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। ई-नाम में पंजीकृत किसान एक ही लाइसेंस पर राज्य में किसी भी मंडी में न सिर्फ कारोबार कर सकेंगे, बल्कि उनके सामने उत्पाद बेचने को अधिक विकल्प भी होंगे। इससे किसानों की आय दोगुना करने में मदद मिलेगी।

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