देहरादून : महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर मध्य रात्रि से ही उत्तराखंड के तमाम शिवालयों में शिव का जलाभिषेक शुरू हो गया और हर तरफ ‘हर-हर महादेव’, ‘बम-बम भोले’ के उद्घोष की गूंज रही। महाशिवरात्रि पर शिवालयों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है।
देहरादून में रात्रि 12 बजे महंत कृष्णा गिरी महाराज, दिगंबर भरत गिरी महाराज, हरिशंकर प्रसाद ने मंत्रोच्चार के साथ टपकेश्वर महादेव का महा रुद्राभिषेक किया। इसके बाद 5100 लीटर केसरयुक्त दूध भोग के बाद श्रद्धालुओं में वितरित किया। जलाभिषेक के लिए पुरुषों व महिलाओं की अलग-अलग लाइन की व्यवस्था की गई है।
इस बार बुजुर्गों और दिव्यांगों को लिफ्ट के माध्यम से मंदिर तक ले जाने का भी प्रबंध है। देहरादून के साथ-साथ विकासनगर, ऋषिकेश समेत दूर-दराज के क्षेत्रों से भी मध्य रात्रि ही श्रद्धालु यहां पहुंचने शुरू हो गए हैं।
मंदिर परिसर में महाशिवरात्रि मेले की तैयारी भी पूरी हो चुकी हैं। इस दौरान गोपाल गुप्ता, योगेश गुप्ता, महेश खंडेलवाल, रजनीश यादव, मनमोहन जायसवाल आदि मौजूद रहे।
वहीं, श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में हरिद्वार से लाए गए गंगाजल और 51 प्रकार की सामग्री से महादेव का अभिषेक किया। इससे पहले 2100 दीयों की रंगोली से ‘मातृ-पितृ भक्ति’ का संदेश दिया।
इस मौके पर दिगंबर भागवत पुरी, दिनेश पुरी, प्रवीण गुप्ता, राजेंद्र आनंद, नवीन गुप्ता, सोहनलाल, दिलीप सैनी, नरेंद्र ठाकुर, संजय गर्ग, विक्की गोयल आदि मौजूद रहे।
महाकालेश्वर का रुद्राभिषेक हुआ
मंदिर महादेव महाकालेश्वर ऋषिपर्णा घाट (तुलतुलिया, राजपुर) में सोमवार सुबह से रात तक महादेव का रुद्राभिषेक किया गया। महाशिवरात्रि पर यानी मंगलवार को मंदिर समिति की ओर से श्रद्धालुओं को नर्मदेश्वर शिवलिंग निश्शुल्क वितरित किए जाएंगे। समिति के सदस्य अजय गोयल ने बताया कि नर्मदेश्वर शिवलिंग (अंगूठे से छोटे) को ही घर में रखने का विधान है।
इस मौके पर विकास लावणिया, विपुल गोयल, कालिंदी गोयल, मीनू गोयल, रमेश चंद्र, पंडित कन्हैया चमोली, अशोक शास्त्री, नरेश कुकरेती, दीपक भट्ट, प्रवीण नौटियाल आदि मौजूद रहे।
भजनों पर थिरके श्रद्धालु
श्री सनातन धर्म मंदिर प्रेमनगर में बांके बिहारी संकीर्तन मंडल ने भजन-कीर्तन से महादेव का गुणगान किया और देर रात तक श्रद्धालु थिरकते रहे। यहां सुबह चार बजे विशेष पूजन के बाद जलाभिषेक शुरू होगा। श्रद्धालुओं के लिए गंगाजल का इंतजाम मंदिर समिति ने किया है।
इस मौके पर सुभाष माकिन, गुलशन माकिन, विवेक कोहली, राजू ममगाईं, शिवानी भाटिया, रवि भाटिया, अवतार किशन कौल, राजेश भाटिया, बॉबी भाटिया, अनीता मल्होत्रा आदि मौजूद रहे।
मनवांछित फल की होती है प्राप्ति
पंडित बंशीधर नौटियाल ने बताया कि शिव प्रकृति प्रेमी हैं और उनका पूजन में प्राकृतिक सामग्री का ही प्रयोग करना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का अभिषेक करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि बेलपत्र, धतूरा, धूप, दीप, मिष्ठान, मौसमी फल, पुष्प, चंदन आदि शिव को अर्पित करना चाहिए। गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद से अभिषेक करें और ऊं नम: शिवाय का जाप करते रहें।
शिव का नाम जीव के लिए मंगलकारी
श्री सिद्ध हनुमान मंदिर बालाजी धाम झाझरा में दिव्य शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन आचार्य मनोज मोहन शास्त्री ने कहा कि शिव का नाम कलयुग के जीवों के लिए मंगलकारी है। शिव जीव को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थ प्रदान करते हैं। मन को मलिनता को दूर करने के लिए शिव का नाम ही श्रेष्ठ है। इस दौरान भीम सिंह पुंडीर, श्रीनारायण दत्त भट्ट, सुनील मित्तल आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार में गंगा स्नान के बाद मंदिरों में उमड़ी भीड़
फाल्गुनी मास की महाशिवरात्रि पर पंचपुरी के शिवालयों में हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान के बाद महादेव के जलाभिषेक को भोले भक्तों का तांता सूर्य की पहली किरण के साथ ही लगना शुरू हुआ। बम-बम भोले के जयकारों से गंगा घाटों और मंदिरों के गुंजयमान होने से वातावरण भक्तिमय हो गया।
हरिद्वार के आसपास से आने वाले कांवड़िये गंगा स्नान और महादेव का दर्शन व जलाभिषेक कर गंगा जल ले अपने अपने गंत्वयों की ओर तेजी से रवाना हो रहे हैं, पिछली पूरी रात कांवड़ियों का हरकी पैड़ी से जल लेकर जाने का सिलसिला लगा रहा |
अलसुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी गई। दक्ष प्रजापति मंदिर, बिल्केश्वर मंदिर और नीलेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक को खासी भीड़ रही। व्यवस्था बनाने में पुलिस कर्मी जुटे रहे।
इस बार महाशिवरात्रि को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी। कुछ लोग महाशिवरात्रि जहां 14 फरवरी को मनाएंगे वहीं धर्मनगरी में महाशिवरात्रि पर्व आज शहर भर में मनाया जा रहा है।
सजे शिवालय
महाशिवरात्रि को लेकर धर्मनगरी के शिवालय दो दिन पूर्व ही सज गए थे। महाशिवरात्रि पर आशुतोष की ससुराल कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर, तिलभांडेश्वर मंदिर, दरिद्रभंज, दुखभंजन, हरिहर आश्रम स्थित पारे का शिवलिंग, बिल्केश्वर मंदिर, उत्तरी हरिद्वार स्थित अर्द्ध नारीश्वर महादेव मंदिर समेत धर्मनगरी के दर्जनों मठ-मंदिरों में सुबह से ही गंगा जल चढ़ाने का क्रम प्रारंभ हो गया।
श्रद्धालु शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ, शिव नाथ तेरी महिमा जब तीन लोक गए जैसे भगवान शंकर के भजनों को गुनगुनाते हुए ओर बम बम भोले, ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए शिवालयों की ओर डग भरते नजर आए। हर ओर बम बम भोले के जयकारें लगने से धर्मनगरी का वातावरण भी भक्तिमय हो गया है। श्रद्धालु भगवान आशुतोष को बेलपत्र, फल-फूल, पंचामृत अर्पित कर घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना कर रहे हैं। शिवालयों में जलाभिषेक का क्रम देर शाम तक जारी रहेगा।
लाखों ने किया जलाभिषेक
महाशिवरात्रि से पूर्व ही नीलकंठ धाम मार्ग भोले के जयकारों से गूंजने लगा था। डीजे लगे कांवड़ियों के वाहन को बैराज और गरुड़चट्टी पुल पर ही रोका जा रहा है। सोमवार की रात आठ बजे तक नीलकंठ महादेव मंदिर में करीब 70 हजार श्रद्धालु जलाभिषेक कर चुके थे।
नीलकंठ महादेव मंदिर आने वाले शिव भक्तों के लिए तिथि के कोई मायने नहीं हैं। उन्हें तो बस महादेव मंदिर में जलाभिषेक करना है। नीलकंठ महादेव मंदिर में लगने वाले मेले को देखते हुए पौड़ी जिला प्रशासन द्वारा रविवार को ही पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगा दी गई थी। पुलिस ने नीलकंठ जाने वाले बैराज मार्ग के प्रवेश बैरियर पर डीजे लगे वाहनों को रोका जा रहा है।
जो वाहन नटराज चौक बाइपास के जरिये आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे डीजे वाहनों को गरुड़चट्टी पुल पर पुलिस रोक रही है। आज पौराणिक वीरभद्र महादेव, सोमेश्वर और चंद्रेश्वर महादेव मंदिर में भी जलाभिषेक शुरू हो गया। वीरभद्र महादेव मंदिर में भी विशाल मेले का आयोजन किया गया है।
सभी राशियों के लिए शिवपूजन फलदायक
ज्योतिषियों के मुताबिक शिवरात्रि पर्व सभी राशियों के जातकों के लिए लाभदायक है। भगवान शंकर का पूजन सभी राशियों के लिए फलदायी बताया गया है।
महाशिवरात्रि चतुर्दशी तिथि 13 फरवरी मंगलवार की रात दस बजकर 37 मिनट से आरंभ हो गई। यह 14 फरवरी बुधवार की रात बारह बजकर 40 मिनट तक यह रहेगी। ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडीप्रसाद घिल्डियाल का कहना है कि जनसामान्य गृहस्थियों की परिस्थितियों के अनुसार व्रत व शिवलिंग पर जलार्पण 14 फरवरी को ही उत्तम होगा।
वहीं, दूसरी ओर वैदिक ब्राह्मण महासभा के प्रतिनिधि प. राकेश प्रसाद लसियाल ने बताया कि पंचांग गणना में चित्रा पक्ष व केतकीदिग गणित को आधार बनाया जाता है। निर्णयों के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत त्रयोदशी संयुक्त करना चाहिए।