देहरादून : गुलदार और टस्कर को सामने देख अक्सर लोगों के पसीने छूट जाते हैं। लेकिन, उत्तराखंड की एकमात्र महिला ट्रेंकुलाइजर डॉ. अदिति शर्मा महज दस मीटर के फासले से उन्हें ट्रेंकुलाइज करती हैं।
राजाजी टाइगर रिजर्व में तैनात डॉ. अदिति यह काम वर्ष 2014 से कर रही हैं और अब तक दस गुलदार व दो टस्करों को ट्रेंकुलाइज कर चुकी हैं। अदिति का मानना है कि जंगली जानवरों को ट्रेंकुलाइज करने से पहले उनके व्यवहार के बारे में जानना बेहद जरूरी है। खासकर तब, जब गुलदार आदमखोर हो। ऐसे में वो कब हमला कर दे, कहा नहीं जा सकता।
वाइल्ड लाइफ का शौक खींच लाया
पंतनगर में जन्मीं अदिति तीन बहनों में सबसे छोटी हैं। उनके पिता स्वर्गीय डॉ. वीके शर्मा जीबी पंत कृषि विवि में प्रोफेसर थे और मां विवि के पब्लिशिंग डिपार्टमेंट में एडीटर। अदिति बताती हैं कि बचपन से उनके शौक अलग थे। वर्ष 2003 में पशुपालन विभाग से उन्होंने नौकरी शुरू की। इस दौरान उन्होंने कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर सेवाएं दीं। लेकिन, वाइल्ड लाइफ का शौक उन्हें देहरादून खींच लाया।
यहां वर्ष 2014 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट से उन्होंने एडवांस वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया। इसके बाद अगस्त 2014 में उन्होंने राजाजी टाइगर रिजर्व के तहत प्रतिनियुक्ति ली। फिर ट्रेंकुलाइजिंग में विशेष प्रशिक्षण के लिए फरवरी 2017 में जिंबाब्वे से वाइल्ड लाइफ कैप्चर और नवंबर 2017 में एडवांस वाइल्ड लाइफ कैप्चर का कोर्स भी किया।
गुलदार को ट्रेंकुलाइज करना ज्यादा मुश्किल
खुद को खुशकिस्मत मानते हुए अदिति बताती हैं कि अब तक वो एक बार भी फेल नहीं हुईं। अन्यथा कई बार निशाना चूक जाने पर निराशा हाथ लगती है। उनका मानना है कि गुलदार को ट्रेंकुलाइज करना ज्यादा मुश्किल है, क्योंकि इंसान की तुलना में गुलदार कहीं अधिक फुर्तीला होता है।
ऐसे में जरूरी है कि जानवरों के बारे में पूरी जानकारी हो। अदिति हरिद्वार में टस्कर समेत कीर्तिनगर, देहरादून आदि स्थानों पर गुलदार को ट्रेंकुलाइज कर चुकी हैं।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंब्रेस्डर भी: डॉ. अदिति पर्यावरण और वन के क्षेत्र में राज्य सरकार की ओर से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड अंबेस्डर भी चुनी गई हैं। उनका लक्ष्य अधिक से अधिक लड़कियों को इस क्षेत्र में लाना है।
हर क्षेत्र में आगे आएं महिलाएं
अदिति बताती हैं कि किसी भी क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए सबसे जरूरी परिवार का सपोर्ट है, खासकर लड़कियों के लिए। कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पहले पुरुषों का वर्चस्व था, लेकिन आज महिलाएं वहां दमदार उपस्थिति दर्ज कर रही हैं।
वाइल्ड लाइफ के क्षेत्र में भी महिलाओं को आगे आना चाहिए। इसके लिए पहले ट्रेंनिग लें और जानवरों के व्यवहार के बारे में पढ़ें एवं समझें। एक दिन जरूर आएगा, जब कोई भी क्षेत्र महिलाओं की उपस्थिति से अछूता नहीं रहेगा।