देहरादून : उत्तराखंड में बिजली दरों को बढ़ाने पर फैसला माह के अंत में होगा। यह लगभग तय हो चुका है कि कम से कम तीन फीसद बिजली महंगी होगी ही। क्योंकि, सरकार से रॉयल्टी की बिजली खरीद की धनराशि को बीपीएल और कृषि श्रेणी के उपभोक्ताओं की सब्सिडी में समायोजित करने की मंजूरी नहीं मिली है।
बीते नवंबर के अंतिम सप्ताह में उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने वर्ष 2018-19 के लिए बिजली के दामों में 13.50 फीसद वृद्धि का प्रस्ताव उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) के समक्ष प्रस्तुत किया था। बाद में संशोधित प्रस्ताव दिया गया और यूपीसीएल ने 191 करोड़ रुपये टैरिफ के प्रस्ताव में जोड़े।
दरअसल, राज्य में सार्वजनिक उपक्रमों और निजी कंपनियों की परियोजनाओं से सरकार को 12.5 फीसद बिजली रॉयल्टी के रूप में मिलती है। यह बिजली यूपीसीएल खरीदता है और सरकार को पैसे देता है। यूपीसीएल ने इस खर्च के 191 करोड़ रुपये भी टैरिफ में जोड़ते हुए कहा कि इस धनराशि को बीपीएल और कृषि उपभोक्ताओं की सब्सिडी में समायोजित कर दिया जाएगा। यूईआरसी ने इसके लिए सरकार से स्वीकृति प्राप्त करने की बात कही थी, सरकार से ऐसी कोई मंजूरी नहीं मिली है।
सूत्र के मुताबिक सरकार ने इस संबंध में हाथ खड़े कर दिए हैं। यूपीसीएल ने इस प्रस्ताव के निदेशक मंडल की बैठक में पास होने का तर्क रखा था, लेकिन यूईआरसी ने इसे खारिज कर दिया। सरकार से उक्त पैसा सब्सिडी में समायोजित करने की स्वीकृति नहीं मिलने की स्थिति में बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव तीन फीसद बढ़ गया है।
21.5 फीसद बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव
तीनों के तीनों निगमों और स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर के प्रस्ताव के अनुसार बिजली दरों में 18.5 फीसद की वृद्धि बैठती है। लेकिन, यूपीसीएल के संशोधित प्रस्ताव के अनुसार अब बढ़ोत्तरी का कुल प्रस्ताव 21.5 फीसद हो गया है। यूईआरसी जन सुनवाई के साथ ही सलाहकार समिति की बैठक भी कर चुका है। यूईआरसी अध्यक्ष सुभाष कुमार ने इस बार 20 से 25 मार्च तक नया टैरिफ घोषित करने की बात कही है।