गैरसैंण: गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता और निर्मलता को लेकर राज्य सरकार गंभीर है। गंगा में सीवेरज अथवा गंदगी न जाए, इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं। नमामि गंगे परियोजना के तहत अलकनंदा और भागीरथी नदियों के किनारे बसे 15 शहरों का चयन किया गया है, जहां सीवरेज सिस्टम विकसित किया जाएगा। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान शुक्रवार को प्रश्नकाल में उठे सवालों के जवाब में पेयजल मंत्री प्रकाश पंत ने सदन को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि यमुना समेत गंगा की अन्य सहायक नदियों के किनारे बसे शहरों को भी चरणबद्ध ढंग से नमामि गंगे में लिया जाएगा। देहरादून शहर के सीवरेज सिस्टम के सुदृढ़ीकरण के मद्देनजर डीपीआर तैयार की जा रही है। इसे भी नमामि गंगे में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा। इसके तहत उन सभी क्षेत्रों की सीवरेज व्यवस्था का पुनर्गठन किया जाएगा, जो या तो पूर्व में छूट गए हैं या फिर जिनकी वहन क्षमता वर्तमान जनसंख्या के हिसाब से कम है।
विधायक खजानदास के तारांकित प्रश्न के जवाब में पेयजल मंत्री पंत ने कहा कि सीवर योजनाओं के लिए पिछले वर्ष 8.83 करोड़ का बजट राज्य सेक्टर, गंगा कार्ययोजना राज्य सेक्टर और एसपीएमजी योजनाओं के तहत आवंटित किया गया। इसी दौरान विधायक खजानदास के अलावा हरबंस कपूर, गणेश जोशी ने देहरादून, प्रदीप बत्रा ने रुड़की और मुन्ना सिंह चौहान ने विकासनगर के सीवरेज से संबंधित प्रश्न रखे।
जवाब में पेयजल मंत्री ने बताया कि बदली परिस्थितियों में जनसंख्या के बढ़े दबाव के मद्देनजर वर्तमान में सभी नगरीय क्षेत्रों में सीवरेज सिस्टम की क्षमता बढ़ाने व पुनर्गठन की आवश्यकता है। इस दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। अभी तक सात शहरों को अमृत योजना के अंतर्गत लिया गया है, जबकि अलकनंदा व भागीरथी के किनारे बसे 15 शहरों को नमामि गंगे में। देहरादून के संबंध में डीपीआर तैयार हो रही है, जबकि विकासनगर का भी परीक्षण कराया जाएगा। कोशिश यह है कि अन्य शहरों को बाह्य सहायतित योजनाओं में शामिल किया जाए।
प्रिंस चौक व कांवली का शीघ्र निदान
पेयजल मंत्री ने कहा कि देहरादून में प्रिंस चौक और कांवली रोड पर सीवर लाइनों के ओवर फ्लो होने की समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है। बता दें कि इन दोनों स्थानों पर सड़कों पर सीवर बहने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
छह उद्योगों को कारण बताओ और दो को बंदी के नोटिस
विधायक ममता राकेश के तारांकित प्रश्न के जवाब में मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि भगवानपुर के औद्योगिक क्षेत्र में 303 उद्योग हैं, जिनमें 109 दूषित जल का उत्प्रवाह करते हैं। इनमें शोधन संयत्र लगे हैं और ये पानी को शोधित करने के बाद इसका उपयोग बागवानी में करते हैं। उन्होंने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में यहां औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण किया गया।
मानकों की अनदेखी करने वाले छह उद्योगों को कारण बताओ और दो को बंदी के नोटिस दिए गए। उन्होंने कहा कि परीक्षण में ये बात साफ हुई है कि इन इकाइयों से निकलने वाला अपशिष्ट भूजल को दूषित नहीं कर रहा। अलबत्ता, वहां ड्रेनेज की दिक्कत है और इसे दूर करने के लिए कड़ाई से निर्देशित किया जा रहा है। विधायक प्रीतम सिंह और काजी निजामुद्दीन के सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि कोई क्षेत्र विशेष है तो वहां के हैंडपंपों से निकलने वाले पानी की जांच करा ली जाएगी।
पौड़ी विस में दो पंपिंग योजनाएं स्वीकृत
विधायक मुकेश सिंह कोली के सवाल पर पेयजल मंत्री ने बताया कि पौड़ी विधानसभा क्षेत्र में नाबार्ड से दो पंपिंग पेयजल योजनाएं स्वीकृत हुई हैं। ज्वालपा देवी कफोलस्यूं पट्टी ग्राम समूह पंपिंग पेयजल योजना के पुनर्गठन के लिए 1436 लाख के प्राक्कलन तैयार करने की कार्यवाही चल रही है।