नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की ओर से एससी/एसटी ऐक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने और अग्रिम जमानत को मंजूरी दिए जाने के फैसले के खिलाफ अाज देशभर में विरोध- प्रदर्शन हो रहा है। कई जगह भीड़ हिंसक हो गई है, तो कई जगहों पर वाहनों को जला दिया गया। इस फैसले के खिलाफ जहां केंद्र सरकार ने एससी/एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। वहीं कांग्रेस इसे राजनीतिक रंग देने में जुटी है।
राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सीधे अारएसएस, भाजपा और पीएम मोदी से जोड़कर राजनीतिक रूप देना चाह रहे हैं। उन्होंने ट्विट कर कहा कि दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना अारएसएस, भाजपा के डीएनए में है। जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं। इसके अलावा उन्होंने लिखा कि हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे हैं। हम उनको सलाम करते हैं।
गौरतलब है कि बीते 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की ओर से एससी,एसटी ऐक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने और अग्रिम जमानत को मंजूरी दिए जाने के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने अाज पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। शीर्ष अदालत के इस फैसले को तमाम दलित संगठनों समेत कई राजनीतिक दलों ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था।
सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमारी सरकार दलितों एवं आदिवासियों के अधिकारों के प्रति संकल्पबद्ध है। कुछ लोग आंबेडकर के नाम पर राजनीति कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सम्मान देने का काम हम कर रहे हैं।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को महाराष्ट्र के एक मामले को लेकर एससी एसटी एक्ट में नई गाइडलाइन जारी की थी।जिसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अधिनियम-1989 के दुरुपयोग पर बंदिश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। इसमें कहा गया था कि एससी एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। पहले आरोपों की जांच डीएसपी स्तर का अधिकारी करेगा। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तभी आगे की कार्रवाई होगी।