पणजी : राज्य में 88 खनन लीज मामलों के दूसरी बार नवीनीकरण से जुड़ी जांच मामलों में संलिप्त गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने गुरुवार को दावा किया कि इसके लिए मनोहर पर्रिकर के सीएम के तौर पर पहले के कार्यकाल के दौरान ही नीति बनाई गयी थी।
2014-15 में 88 खनन लीज के दूसरी बार नवीनीकरण मामले में गोवा लोकयुक्त ने बुधवार को पारसेकर व अन्य दो सरकारी अधिकारियों को नोटिस जारी किया जिसे इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। 61 वर्षीय भाजपा नेता ने अब मांग किया है कि लोकायुक्त को उनके खिलाफ मामले पर सुनवाई तेजी से करनी चाहिए ताकि सच्चाई जल्द से जल्द सामने आ जाए।
88 खनन के दोबारा नवीनीकरण के खिलाफ गोवा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट पहुंची और राज्य लोकायुक्त के समक्ष याचिका दर्ज कराया। याचिका में अवैध नवीनीकरण को लेकर पारसेकर व पूर्व खनन सचिव पवन कुमार सैन व मौजूदा माइंस एंड जियोलॉजी डिपार्टमेंट डायरेक्टर प्रसन्न आचार्य पर आरोप लगाया गया है। इसपर पारसेकर ने तर्क दिया, ‘खनन लीजों के रिन्यूअल के लिए मैं कैसे जिम्मेवार हो सकता हूं जबकि ये सब राज्य सरकार की पॉलिसी के तहत की गयी जिसे बांबे हाईकोर्ट ने मंजूरी दी।‘
नवंबर 2014 से पिछले साल मार्च तक गोवा के मुख्यमंत्री रहे पारसेकर ने कहा, ‘ पर्रीकर ने अपने कार्यकाल के दौरान ही दोबारा नवीनीकरण की प्रक्रिया को शुरू कर दिया था और जब मैं सत्ता में आया तो मैंने पर्रीकर का ही अनुसरण किया।‘ उन्होंने आगे कहा, ‘मैं चाहता हूं की सच सामने आए। मेरे खिलाफ लगे 1,44,000 करोड़ रुपये की रकम का आरोप है। यह छोटी राशि नहीं है।‘
9 मार्च 2012 से 8 नवंबर 2014 तक पर्रीकर गोवा के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री के पद पर नियुक्त होने से पहले इस्तीफा दे दिया। इसके बाद पारसेकर वहां के मुख्यमंत्री बने और 14 मार्च 2017 तक पर पर मौजूद रहे।