बदरीनाथ: नृसिंह मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी तथा गाड़ू घड़े (तेल कलश) को योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना किया गया। इस दौरान बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने शंकराचार्य गद्दी व तेल कलश की पूजा-अर्चना की।
जोशीमठ के नृसिंह मंदिर प्रांगण में सेना के बैंड की मधुर धुनों व स्थानीय महिलाओं के जागर के बीच शंकराचार्य गद्दी व तेल कलश को रवाना किया गया। इस दौरान भगवान बदरी विशाल के जयकारे भी लगाए गए। यह यात्रा जोशीमठ से विष्णुप्रयाग पहुंची। विष्णुप्रयाग संगम पर भगवान विष्णु के मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद रास्ते में जगह-जगह यात्रा का स्वागत हुआ। गोविंदघाट में सनवार परिवार के घर पर डोली का स्वागत किया गया।
यात्रा के पांडुकेश्वर योगध्यान बदरी मंदिर में पहुंचने पर फूल वर्षा कर स्वागत किया गया। गाजे-बाजे व गढ़वाल स्काउट के बैंडों की मधुर ध्वनि के बीच यात्रा योगध्यान बदरी मंदिर पहुंची। यहां पर ग्रामीणों ने शंकराचार्य गद्दी व तेल कलश की पूजा अर्चना की। शनिवार की रात्रि के लिए तेल कलश व शंकराचार्य गद्दी को योगध्यान बदरी मंदिर में रखा गया है। यात्रा में रावल ईश्वरी प्रसार नंबूदरी, नायब रावल शंकरन नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, वेदपाठी सत्य प्रसाद चमोला, राधाकृष्ण वैष्णव, किशोर पंवार, राजेंद्र चौहान, उप मुख्य कार्याधिकारी सुनील तिवारी आदि लोग मौजूद थे।