समाज की रूढ़ियों को तोड़कर बेटियों ने दी मां की चिता को मुखाग्नि

देहरादून: पुराने समाज में बेटे की कामना इसलिए की जाती थी कि मरते वक्त उसे बेटे के हाथों मुखाग्नि नसीब हो जाए, मगर आज बेटियों ने इसे कोसों पीछे छोड़ दिया है। शनिवार को दो बेटियों को अपनी मां की चिता को मुखाग्नि दी। दोनों बेटियों में एक निजी स्कूल में प्रिंसिपल हैं तो दूसरी एयरफोर्स में विंग कमांडर। दोनों बेटियां पूर्व में पिता को भी मुखाग्नि दे चुकी हैं।

ग्रीन लॉन ऐकेडमी स्कूल (डाकरा व जैतनवाला) की प्रेजीडेंट जमुना खत्री का निधन हो गया। शनिवार को उनका मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया गया। वैसे तो उनका बेटा नहीं था, लेकिन उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को बेटों से कभी कम नहीं समझा। जिस समय सभी का रो-रोकर बुरा हाल होता है, उस समय बेटी अर्चना थापा अपनी दिवंगत मां के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया विधि-विधान से पूरी कर रही थीं। वहीं, दूसरी बेटी कामना भी अपनी बहन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मजबूती से खड़ी रहीं।

अर्चना थापा व कामना के पिता नरेंद्र खत्री का 23 मार्च 2016 में निधन हुआ। इस समय भी इन दोनों बेटियों ने पूरे विधि-विधान से पिता के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की थी।

मां ने दान की थी किडनी

मां जमुना खत्री ने भाई को अपनी एक किडनी दान की थी और बाद में वो खुद किडनी की बीमारी से जूझने लगीं। अंत में इसी रोग से प्राण त्याग दिए।

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