देहरादून : गर्मी शुरू होते ही उत्तराखंड के जंगल भी आग से सुलगने लगे हैं। उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा के जंगलों में लगी आग को बुझाने में वन महकमा भी लाचार नजर आ रहा है। इससे वन संपदा को नुकसान पहुंच रहा है।
उत्तरकाशी में पिछले पांच दिनों से जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। वनाग्नि से लाखों की वन संपदा तो खाक हो रही रही है। वन्य जीव भी वनाग्नि से प्रभावित हो रहे हैं। यही नहीं वनाग्नि के प्रभाव से आमजन को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। भले ही आग को बुझाने के लिए प्रशासन ने वन विभाग के साथ एसडीआरएफ को भी लगा दिया है, लेकिन उसके बाद भी आग पर काबू नहीं पाया गया है।
पोखरी और मनेरा के निकट के जंगल में लगी आग को वन विभाग और एसडीआरएफ की टीम ने बुझाने के प्रयास में लगी है। वहीं शनिवार रात से पोखु देवता मंदिर के पास के जंगल में आग को फायर सर्विस, एसडीआरएफ की टीम ने बामुश्किल बुझाया।
टिहरी के बादशाहीथौल के जंगल भी आग से धधकने लगे हैं। वहीं श्रीनगर में चौरास क्षेत्र के गुठांई के जंगल धधकती आग की चपेट में हैं। चौरास क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की ओर से कोई प्रयास नहीं किए गए। अब जंगल को आग से बचाने के लिए इंद्र देवता पर ही आस है।
बस्तियों में बढ़ा खतरा
अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट क्षेत्र के जंगल आग की चपेट में आकर खाक होते जा रहे हैं। इतना ही नही आग के बस्तियों तक पहुंचने से खतरा और अधिक बढ़ता जा रहा है। चंथरिया रेंज की आग गवाड़ वन पंचायत में फैल गई। इससे करीब नौ हेक्टेअर में 2015-16 में रोपे गए बांज, अंगू आदि के करीब 100 पेड़ जलकर स्वाहा हो गए। यह आग लोगों के नाप खेतों तक भी पहुच चुकी है।