पिथौरागढ़: बीएसएफ के सहायक सेनानी एवं मुनस्यारी के बौना गांव निवासी पद्मश्री लवराज धर्मशक्तू ने सातवीं बार एवरेस्ट फतह की है। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी सागरमाथा में सात बार चढ़ने वाले लवराज भारत के पहले पर्वतारोही बन चुके हैं।
तहसील मुनस्यारी के अति दुर्गम गांव जहां अभी सड़क और संचार की सुविधा भी नहीं पहुंची है। उस गांव के लवराज के सातवीं बार एवरेस्ट फतह करने से पूरे जिले में हर्ष व्याप्त है। बीएसएफ में सहायक सेनानी पद्मश्री लवराज इस बार बीएसएफ के एवरेस्ट अभियान में सफल रहे।
बल ने दो दल बनाए थे। जिसमें प्रथम टीम के टीम लीडर लवराज थे। जिसमें 25 सदस्य शामिल थे। उनके निर्देशन पर चले अभियान में वह एक बार फिर एवरेस्ट में चढ़ने में सफल रहे। उन्होंने अपनी सफलता की सूचना रविवार की सुबह दी। लवराज के सातवीं बार एवरेस्ट विजेता बनने की सूचना मिलते ही जिले में हर्ष व्याप्त है।
बिना ऑक्सीजन के किया एवरेस्ट फतह
सात बार एवरेस्ट फतह करने वाले लवराज बिना ऑक्सीजन के एवरेस्ट चढ़ चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि लवराज ने चारों दिशाओं की तरफ से एवरेस्ट चढ़ने में सफल रहे हैं। उनके गांव बौना में सूचना मिलते ही जश्न मनाया जा रहा है।
लवराज सिंह के सातवीं बार एवरेस्ट फतह को पर्वतारोही पुरमल सिंह धर्मशक्तू , उच्च हिमालय के जानकार कुंदन सिंह टोलिया, बीएसएफ के डीआइजी बीएस टोलिया , पर्वतारोहण से जुड़े बासु पांडेय, बलवंत कपकोटी, आरएस धर्मशक्तू, बीएस धर्मशक्तू , राहुल भट्ट, अशोक भडारी, जुगल किशोर पाडेय ने बहुत बड़ी उपलब्धि बताते हुए उन्हें बधाई दी है।
1998 में पहली बार चढ़े थे एवरेस्ट
पर्वतारोही लवराज धर्मशक्तू ने 1998 में सबसे पहले एवरेस्ट फतह किया था। पर्वतारोहण में कदम रखने के बाद कई प्रमुख चोटियों को चढ़ने के बाद उन्होंने वर्ष 1998 में एवरेस्ट अभियान में भाग लिया और चढ़ने में सफल रहे। इसके बाद बीएसएफ में जाने के बाद 2006 में, 2009, 2012, 2013, मई 2017 और ठीक एक साल बाद मई माह में सातवीं बार एवरेस्ट फतह किया।