नई टिहरी, : एचआइवी को लेकर टिहरी जिले का स्वास्थ्य महकमा कितना गंभीर है, इसकी सच्चाई खुद विभाग के आंकड़े बयान कर रहे हैं। एचआइवी से बचाव के लिए विभाग में एएनसी (एटींनेटल केयर) रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। इसके तहत गर्भवती महिला की हर तीन महीने में जांच की जाती है। इसके उलट टिहरी में बिना एचआइवी जांच के ही गर्भवतियों का रजिस्ट्रेशन हो रहा है। जिले के कीर्तिनगर ब्लॉक में तो किसी भी गर्भवती महिला की एचआइवी जांच नहीं की गई।
एचआइवी नियंत्रण एवं बचाव के लिए स्वास्थ्य महकमा हर साल करोड़ों रुपये खर्च करता है। वहीं, गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात को एचआइवी संक्रमण से से बचाने के लिए विभाग एंटीनेटल केयर रजिस्ट्रेशन करता है। इसके तहत हिमोग्लोबिन, खून की कमी और अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए गर्भवती की हर तीसरे जांच की जाती है, ताकि गर्भवती एवं गर्भस्थ शिशु को कोई खतरा न हो, लेकिन टिहरी में स्वास्थ्य महकमा ही इस योजना पर पलीता लगा रहा है।
जिले में ऐसी महिलाओं की संख्या नगण्य है, जिनकी एचआइवी जांच हुई हो। कीर्तिनगर ब्लाक में तो यह आंकड़ा शून्य है, जबकि जाखणीधार में तीन प्रतिशत, प्रतापनगर में 26 प्रतिशत, जौनपुर में 29 प्रतिशत और थौलधार में 32 प्रतिशत महिलाओं गर्भवती महिलाओं की ही एचआइवी जांच हुई।
एचआइवी जांच की ब्लॉकवार तस्वीर
ब्लॉक, एचआइवी जांच (प्रतिशत में)
चंबा, 100
भिलंगना, 81
नरेंद्रनगर, 43
देवप्रयाग, 39
थौलधार, 32
जौनपुर, 29
प्रतापनगर, 26
जाखणीधार, 03
कीर्तिनगर, शून्य
जिलाधिकारी सोनिका का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में एएनसी के तहत गर्भवती महिलाओं की एचआइवी जांच में बेहद लापरवाही की गई है। इसमें सुधार लाने के निर्देश दिए गए हैं। लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
सीएमओ डॉ. भागीरथी जंगपांगी का कहना है कि यह गंभीर मामला है। विभाग को स्थिति सुधारने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।