पॉटहोल पैचिंग मशीन खुद भरेगी सड़कों के गड्ढे

देहरादून: पुलिस को अब सड़क पर बने गड्ढों को भरने के लिए लोक निर्माण विभाग का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। ट्रैफिक निदेशालय आधुनिक तकनीक से तैयार पॉटहोल पैचिंग मशीन से खुद सड़कों के गड्ढे भरेगी। इसके लिए 10 लाख की कीमत की मशीन खरीदने का प्रस्ताव बनाया गया है। इस मशीन से एक घंटे में 100 गड्ढे भरे जा सकेंगे। जिस काम में 50 हजार रुपये का खर्च आएगा।

राजधानी में सड़कों पर बने गड्ढों से दुर्घटना रोकने के लिए पुलिस ने भी कार्ययोजना बनाई है। पिछले साल सड़कों के गड्ढों से राजपुर रोड पर दो युवतियों की मौत के बाद मुख्यमंत्री ने गड्ढे भरवाने के लिए तमाम जिम्मेदार महकमों के पेच कसे थे। इस पर पुलिस को भी गड्ढे भरने की जिम्मेदारी उठाने को कहा गया था, लेकिन इस काम में पुलिस को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। मगर, अब ट्रैफिक पुलिस ने सड़क पर दुर्घटना को न्योता देने वाले इन गड्ढों को भरने की ठोस योजना बनाई है।

इसके लिए ट्रैफिक पुलिस विदेशी तकनीक से बनी पॉटहोल पैचिंग मशीन खरीदने जा रही है। इस मशीन में एक साथ निर्माण सामग्री डालने के बाद एक के बाद एक गड्ढे भरे जा सकते हैं। एक घंटे में करीब 100 गड्ढे यह मशीन भर सकेगी। इसके लिए पूरा दल नहीं बल्कि मशीन को ऑपरेट करने वाले एक व्यक्ति की जरूरत होती है। मशीन पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरों से लेस है।

गड्ढे को सुखाने से लेकर उसमें केमिकल डालकर मजबूती के साथ पैच वर्क करती है। पैच वर्क के बाद गड्ढे के ऊपर वाहनों की आवाजाही हो सकेगी। यह पैचवर्क मैनुअली होने वाले पैचवर्क से कई गुना मजबूत है। इस मशीन की क्षमता है कि एक वर्ग मीटर के गड्ढे को तीन मिनट के समय में भर सकती है। ट्रैफिक निदेशालय अगले साल से इस मशीन का उपयोग गड्ढे भरने में करेगा।

ट्रैफिक निदेशक केवल खुराना का कहना है कि प्रदेश में यह मशीन सड़कों के गड्ढे भरने में महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जल्द मशीन खरीद कर इसका संचालन किया जाएगा। इस पर 10 लाख रुपये खर्च आएगा। इसका उपयोग वीआइपी कार्यक्रमों में भी किया जा सकेगा।
लोनिवि पुरानी तकनीकी के सहारे गड्ढे भरने से लेकर, सड़कों, नाली की सफाई, डिवाइडर बनाने समेत अन्य कार्यो में आधुनिक तकनीक से लेस मशीनों पर लोनिवि की नजर नहीं है। जेसीबी, पोकलेन को छोड़ लोनिवि एक हॉट एंड कोल्ड मीलिंग मशीन खरीद पाया है। यह मशीन भी शो-पीस बनी हुई है। विभाग अधिकांश कार्य अभी भी मैनुअली करता आ रहा है।

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