चीन एक साल में सीमा पर पहुंचा देगा सिक्स लेन सड़क

पिथौरागढ़: पड़ोसी देश चीन सीमा पर सिक्स लेन सड़क पहुंचाने की तैयारी कर रहा है, मगर भारत सीमा पर अब तक सड़क नहीं पहुंचा सका है। कैलास मानसरोवर यात्रा पूरी कर पिथौरागढ़ पहुंचे प्रथम दल ने जागरण से विशेष बातचीत में यात्रा से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए यह बात कही। यात्रा पूरी कर लौटे दल के सभी सदस्यों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। यात्रियों ने बार-बार कैलास आने की इच्छा जताई।

गुरुवार को प्रथम कैलास मानसरोवर यात्रियों का 59 सदस्यीय दल गुंजी से हेलीकॉप्टर से नैनीसैनी हवाई पट्टी पहुंचा। इसके बाद दल का कुमाऊं मंडल विकास निगम के पर्यटक आवास गृह में प्रबंधक दिनेश गुरुरानी की अगुवाई में जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान जागरण से विशेष बातचीत में यात्रियों ने यात्रा से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि कैलास मानसरोवर यात्रा अविस्मरणीय रही। कैलास मानसरोवर यात्रा के दर्शन से जो आत्मिक सुख मिला है, उसे शब्दों में बयान कर पाना मुश्किल है।

कैलास मानसरोवर को अद्भूत बताते हुए यात्रियों ने कहा कि यात्रा से उनमें नई ऊर्जा का संचार हुआ है। यात्रा पथ पर भारत की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए यात्रियों ने कहा कि उनका जगह-जगह पर विशेष ख्याल रखा गया। मेडिकल से लेकर हर छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दिया गया। आइटीबीपी के सुरक्षा इंतजामों की सराहना करते हुए यात्रियों ने कहा कि यह यात्रा बिना उनके संभव नहीं थी।
यात्रा पथ में जवानों ने बहुत सहयोग किया। भारतीय सीमा पार तिब्बत क्षेत्र के अनुभव साझा करते हुए यात्रियों ने कहा कि चीन में काफी विस्तार होने लगा है। सड़क सुविधा के मामले में चीन भारत से काफी आगे है। सीमा पर जितनी तेजी से सड़क का विस्तार हो रहा है, उससे लगता है कि अगले एक साल में वहां चीन सिक्स लेन सड़क पहुंचा देगा।

मुंबर्इ से आर्इं प्रतिभा जोशी कहती हैं कि पहली बार कैलास मानसरोवर यात्रा मेरे लिए बहुत अच्छा अनुभव रहा। यात्रा पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। धारचूला से बूंदी तक की यात्रा सबसे चुनौतीपूर्ण रही।
गुड़गांव निवासी प्रवीन का कहना है कि यात्रा पथ पर हर छोटी-छोटी चीज का ख्याल रखा गया। हमें उम्मीद ही नहीं थी कि सरकार मानसरोवर यात्रा में इतना सहयोग करेगी। भारत के मुकाबले चाइना में सड़कें बेहद ही अच्छी हैं। भारत को भी शीघ्र सीमा तक सड़क पहुंचानी चाहिए।

अल्मोड़ा के सतराली निवासी महेश कुमार लोहनी बताते हैं कि कैलास मानसरोवर यात्रा से मुझे बेहद लगाव है। मैं दूसरी बार यात्रा कर रहा हूं। पिछली बार के मुकाबले इस बार यात्रा चुनौतीपूर्ण रही। यात्रियों के दस्तावेजों में पैदल यात्रा 12 किमी लिखी गई है, मगर उन्हें 27 किमी पैदल चलना पड़ा।
वहीं, दल की सबसे कम उम्र की यात्री 18 वर्षीय रिद्धि (महाराष्ट्र) को मानसरोवर यात्रा बहुत पसंद आई। रिद्धि ने बताया कि उन्हें सभी लोगों का प्यार मिला। भारत और चीन दोनों क्षेत्रों में यात्रियों के लिए सुरक्षा के बेहतर इंतजाम थे। टेढ़े-मेढ़े रास्तों में घोड़े से सवारी करना उनके जीवन का अच्छा अनुभव रहा। उन्होंने भविष्य में भी यात्रा करने की इच्छा जताई।

एक सदस्य का अचानक हुआ स्वास्थ्य खराब
कैलास मानसरोवर यात्रा सकुशल पूरी कर भारतीय सीमा में प्रवेश करने के बाद गुरुवार को गुंजी में दल के एक सदस्य दिल्ली निवासी उदय कपूर का अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया। जिन्हें अन्य यात्रियों के साथ हेलीकॉप्टर से पिथौरागढ़ लाया गया। जहां जिला कित्सालय में उनका उपचार चल रहा है।

कैलास यात्रियों को खूब लुभा रही पहाड़ी दाल

पर्यटक आवास गृह में मुख्य विकास अधिकारी वंदना की पहल पर आजीविका परियोजना व उद्योग विभाग द्वारा स्थानीय उत्पादों के स्टॉल लगाए गए हैं। जिसमें पहाड़ी दालें, मुनस्यारी राजमा, तिमूर, गंदराइन, जम्बू, डाला जीरा, मसालें, रिंगाल, च्यूरा शहद, च्यूरा घी, अंगूरा, पसमीना आदि के उत्पाद शामिल हैं। एकीकृतक आजीविका परियोजना के निदेशक कुलदीप बिष्ट ने बताया कि यात्रियों को न्यूनतम दरों में उत्पाद बेचे जा रहे हैं। पहाड़ी दालें यात्रियों को खूब लुभा रही हैं। इसके अलावा पहाड़ी मसालों की भी यात्री जमककर खरीदारी कर रहे हैं।

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