ऋषिकेश: मुख्यमंत्री के दरबार में तबादले की मांग को लेकर पहुंची शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा की गिरफ्तारी के मामले को कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना दिया। कार्यकर्ताओं ने भाजपा सरकार का पुतला फूंक कर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, शिक्षिका के समर्थन में शिक्षक संघ भी उतर गया। साथ ही शिक्षिका ने कहा कि न्याय न मिलने पर वह न्यायालय की शरण लेंगी।
ऋषिकेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रेलवे रोड कांग्रेस भवन के समक्ष प्रदर्शन किया। साथ ही भाजपा सरकार का पुतला फूंका। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष जयेंद्र रमोला ने कहा कि मुख्यमंत्री जैसे गरिमामय पद पर बैठकर किसी व्यक्ति का यह आचरण उचित नहीं है।
मुख्यमंत्री को प्रदेश का मुखिया होने के नाते यहां सीधे कार्यवाही ना करके मामले की विभागीय जांच करवा कर शालीनता का परिचय देना चाहिए था। प्रदर्शन करने वालों में शिव मोहन मिश्र, वीरेंद्र सजवाण, नंदकिशोर जाटव, अरविंद भट्ट, एकांत गोयल, किशोर गौड़, हरिओम वर्मा, मुकेश जाटव, देवेंद्र प्रजापति, आशु वर्मा आदि शामिल थे।
डोईवाला में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा के समर्थन में डोईवाला चौक पर भाजपा सरकार का पुतला फूंकते हुए नारेबाजी की। यूथ कांग्रेस के प्रदेश सचिव विक्रम सिंह नेगी के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी भी की।
शिक्षिका के साथ दुव्र्यवहार निंदनीय: प्रीतम सिंह
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री के जनता दरबार में शिक्षिका के साथ किए गए दुव्र्यवहार की निंदा करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि एक शिक्षिका मुख्यमंत्री के जनता दरबार में अपनी व्यथा सुनाने आई थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने उनके साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया वह सभ्य समाज के लिए शोभा नहीं देता है।
उन्होंने कहा कि जनता दरबार जनता की समस्याओं के निस्तारण के लिए लगाए जाते हैं न कि जनता का अपमान करने के लिए। कहा कि सरकार के जनता दरबारों में पहले भी कई ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं जो जनहित में उचित नहीं ठहराई जा सकती हैं।
जनता दरबार में राज्य के दूर-दराज क्षेत्र से लोग इस आशा के साथ अपनी समस्याएं लेकर आते हैं कि उनका समाधान हो सके, लेकिन जिस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है वह निंदनीय है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य के मुख्यमंत्री व मंत्री जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते तो उन्हें इस प्रकार के जनता दरबारों का आयोजन नहीं करना चाहिए। इस प्रकार के व्यवहार से मुख्यमंत्री पद की गरिमा को भी ठेस पहुंची है।
उन्होंने कहा कि राज्य में स्थानांतरण एक्ट की खुलेआम धच्जियां उड़ाई जा रही हैं। भाजपा के बड़े नेताओं, पदाधिकारियों व सरकार में बैठे लोगों की पत्नियों का दुर्गम से सुगम में स्थानांतरण किया जा सकता है तो एक दुखी महिला का भी किया जाना चाहिए।
शिक्षक संघ ने की अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
उत्तरकाशी की शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा के समर्थन में अब उत्तराखंड प्राथमिक शिक्षक संघ भी उतर आया है। संगठन का कहना है कि शिक्षा विभाग में जिस प्रकार भाई भतीजावाद और सिफारिशी लोग लाभ उठा रहे हैं, उससे लंबे समय से दुर्गम में कार्यरत शिक्षकों का कुंठित होना स्वाभाविक है। यह कुंठा मात्र एक शिक्षक की नहीं बल्कि अनेकों शिक्षकों की है। संगठन ने ऐसी परिस्थिति उत्पन्न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
संगठन के प्रांतीय महामंत्री दिग्विजय चौहान ने कहा कि शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा की स्थानांतरण की फरियाद इस दृष्टि से उचित है कि वह लंबे समय से दुर्गम में कार्यरत होने, 55 वर्ष से अधिक आयु की होने व विधवा होने जैसे कारणों के होते हुए भी सुगम में स्थानांतरण नहीं होने से वह लगातार गुहार लगा रही है।
शिक्षिका को किसी भी स्तर पर संतोषजनक उत्तर नहीं मिला और उसकी पीड़ा को हर किसी ने अनसुना कर दिया। प्राथमिक शिक्षा में वर्षों-वर्षों से अपने घर से सैकड़ों किमी दूर कार्यरत शिक्षक अपने गृह क्षेत्र में स्थानांतरण की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा। प्रारंभिक शिक्षा का कैडर जनपदीय है तो क्या आज तक हजारों शिक्षकों को दूसरे जनपदों में स्थानांतरित नहीं किया गया।
संगठन स्थानांतरण एक्ट की मांग इसी कारण करता रहा है कि सुगम स्थानों पर मात्र सिफारिशी शिक्षक ही कार्यरत न हों। बल्कि रोस्टर के अनुसार सभी को दुर्गम और सुगम में सेवा करने का अवसर प्राप्त हो।
शिक्षिका बोली, न्याय न मिला तो कोर्ट जाऊंगी
20 साल से ज्यादा उत्तरकाशी के दुर्गम क्षेत्र में सेवाएं देने वाली शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा पिछले 10 सालों से मुख्यमंत्रियों के चक्कर काट रही हैं। भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा पूर्व सीएम हरीश रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत से पहले भी अपने स्थानांतरण को लेकर गुहार लगा चुकी थीं।
उत्तरा ने बताया कि जब उनके पति बीमार हुए तो वह तत्कालीन सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से पीड़ा बयां कर चुकी थीं। इसके बाद जब उनके पति का देहांत हो गया तो वह एलपीसी को लेकर तत्कालीन सीएम हरीश रावत से मिलीं।
उन्होंने विभागीय कार्य तो करवा दिया, लेकिन स्थानांतरण नहीं हो सका। पांच माह पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलकर स्थानांतरण की गुहार लगाई। तब सीएम ने उनको कार्रवाई का भरोसा दिलाया। इसके बाद वह शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने भी उन्हें ट्रांसफर का भरोसा दिलाया।
उत्तरा ने कहा कि अब वह विभागीय जांच में अपना पक्ष रखेंगी। अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह कोर्ट का रुख करेंगी। उनका कहना है कि इस समय गर्मियों की छुट्टियां हैं और छुट्टी में किसी को निलंबित नहीं किया जा सकता।
वह कहती हैं कि सिस्टम से हारकर ही वह जनता दरबार में पहुंचीं। मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक सभा में मुझे गिरफ्तार करने और बाहर निकालने के आदेश दिए। मुझे खींचकर और धक्के मारकर बाहर निकाला गया। क्या यही महिलाओं के सम्मान का दावा करने वाली सरकार का असली चेहरा है।