नैनीताल: 27 जुलाई शुक्रवार यानी पूर्ण चंद्रग्रहण की रात बेहद खास खगोलीय घटनाओं में शुमार होने जा रही है। मंगल ग्रह 21वीं शताब्दी के सर्वाधिक लंबे चंद्रग्रहण का गवाह बनेगा, वहीं आसमानी आतिशबाजी इस घटना को रोमांचकारी बनाएगी। इस रात डेल्टा एक्वारिड्स उल्का वृष्टि चरम पर रहने वाली है। एक ही रात में होने जा रही तीन आकर्षक खगोलीय घटनाएं इसे यादगार बनाने जा रही हैं।
चंद्रग्रहण की खगोलीय घटना तो आधी रात से शुरू होगी। इससे पहले शाम ढलते ही लाल ग्रह पूरब दिशा में अनूठी चमक बिखेरते हुए उदय हो रहा होगा। इसके बाद पूर्ण खिला हुआ चांद अदभुत सुंदरता के साथ नजर आएगा। इस बीच खास बात यह होगी कि आसमानी आतिशबाजी के रूप में जलती हुई चमकदार उल्काएं आसमान से धरती की ओर गिरने लगेंगी। जिन्हे सूर्यास्त के समय देखने की अधिक संभावना है। वहीं पूर्ण ग्रहण के दौरान के अलावा सूर्योदय से पहले देखे जाने की संभावना है। इस बीच मंगल व चंद्रमा एक दूसरे के बेहद करीब नजर आएंगे।
इनके बीच की आभाषीय दूरी मात्र सात डिग्री रह जाएगी। मंगल की चमक अपनी औसत चमक से करीब 12 गुना अधिक होगी। जिसमें लालिमा लिए लाल ग्रह को पहचान पाना जरा भी मुश्किल नहीं होगा। आसमानी आतिशबाजी में डेल्टा एक्वारिड्स उल्का वृष्टि 27 जुलाई की रात चरम पर रहने वाली है, जिसमें इस वृष्टि की सर्वाधिक उल्काएं नजर आएंगी। इसके बाद भी इसे अगस्त माह तक देखा जा सकेगा। चंद्रग्रहण रात 11.55 बजे शुरू हो जाएगा। एक बजे पूर्ण ग्रहण लगा चांद नजर आने लगेगा, जो 2.43 बजे तक पूरी तरह धरती की छाया के आगोश में रहेगा। इस दौरान चांद नारंगी रंग में रंगा नजर आएगा। 3.49 बजे चंद्रमा ग्रहण से मुक्त हो जाएगा।
होगा चंद्रग्रहण, नजरें होंगी मंगल पर
भले ही पूर्ण चंद्रग्रहण सदी का सबसे लंबी अवधि का होगा, लेकिन ग्रहण के साथ नजरें मंगल पर रहेंगी। मंगल इन दिनों हमारे सर्वाधिक करीब आ पहुंचा है। यह संयोग पिछले 60 हजार साल में दूसरी बार बनने जा रहा है। इससे पहले वर्ष 2003 में मंगल हमारे सर्वाधिक नजदीक पहुंचा था।
वैज्ञानिक नजरिए से मंगल होगा खास
आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोलीय वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार यह तीनों खगोलीय घटनाएं खगोलीय दृष्टि से बेहद खास हैं। वहीं वैज्ञानिक नजरिए से मंगल ग्रह अध्ययन के लिए खास होगा। मंगल मिशन के लिए भावी योजनाओं के अलावा इन दिनों मंगल के वातावरण पर छाए धूल के गुबार का अध्ययन किए जाने में मदद मिलेगी।
तैयारियों में जुटे एस्ट्रो फोटोग्राफर
आसमान एक साथ तीन खगोलीय घटनाओं का होना स्टार गेजिंग फोटोग्राफर के बेहद दिलचस्प होगा। पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान छायाकारों की मंशा ग्रहण लगे चांद के साथ मंगल को कैमरे में कैद करने की होगी, इसके साथ हो रही उल्का वृष्टि को कैमरे में उतारने की होगी, जिसे लेकर दुनियाभर के एस्ट्रो फोटोग्राफर तैयारियों में जुटे हुए हैं।
रात 11.54 बजे से रात 3.49 बजे तक रहेगा चंद्रग्रहण
शुक्रवार रात से शुरू हो रहे चंद्रग्रहण के सूतक के चलते देवभूमि उत्तराखंड में चारधाम समेत सभी मंदिरों के कपाट दोपहर दो बजे बंद कर दिए जाएंगे। शनिवार सुबह सफाई व शुद्धिकरण के बाद मंदिरों को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला जाएगा। सदी का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण शुक्रवार रात 11.54 बजे शुरू होगा और रात 3.49 बजे तक रहेगा, लेकिन ग्रहण का सूतककाल शुक्रवार दोपहर दो बजे से शुरू हो जाएगा।
बंद रहेगे चारधाम के कपाट
चंद्र ग्रहण के चलते चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री समेत सभी मंदिरों के कपाट दो बजे बाद बंद कर दिए जाएंगे। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के कार्याधिकारी एमपी जमलोकी ने बताया कि शनिवार सुबह मंदिर की सफाई व शुद्धिकरण के साथ हवन-यज्ञ कर दोबारा मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इसके बाद ही श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे।
इसलिए कहते हैं ‘ब्लड मून’
पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा जब पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो वह नाटकीय रूप से चमकीले नारंगी रंग से लाल रंग का हो जाता है। यही कारण है कि इस अवधि में उसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है।