देहरादून: उत्तराखंड में निजी डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज हलकान है। दरअसल, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) एक दिवसीय हड़ताल पर है। जिसके चलते मरीजों को कर्इ तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि उन्हें उचित उपचार तक नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं बहाल होने से मरीजों को कुछ हद तक राहत मिली है।
आइएमए के प्रांतीय महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने बताया कि एनएमसी बिल को लेकर केंद्र सरकार से वार्ता हुई थी। समिति में डॉक्टरों को रखने, एमबीबीएस छात्रों के लिए एग्जिट एग्जाम की अनिवार्यता समाप्त करने सहित कई अन्य बिंदुओं पर बिल में संशोधन की मांग की गई थी। मगर, सरकार ने एनएमसी बिल में संशोधन नहीं किया है। इसके विरोध में एक दिवसीय हड़ताल की जा रही है। इसके बाद भी बिल पास होता है तो आइएमए द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में ओपीडी, पैथोलॉजी लैब, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड सेंटर बंद हैं।
वहीं, ऋषिकेश में भी निजी डॉक्टरों की हड़ताल का साफ असर देखने को मिला। हड़ातल पर गए चिकित्सकों ने राजकीय चिकित्सालय में एकत्र होकर बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया। आईएमए के शाखा अध्यक्ष डॉ. हरिओम प्रसाद के नेतृत्व में चिकित्सकों ने उप जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा।
चिकित्सकों ने शनिवार को धिक्कार दिवस के रूप में मनाया। इस हड़ताल के कारण नगर क्षेत्र के करीब दो दर्जन नर्सिंग होम और क्लीनिक बंद रहे। जिससे यहां आने वाले मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी।
प्रदर्शन में डॉ.एनबी श्रीवास्तव, डॉ. अजय शर्मा, डॉ. अमित अग्रवाल, डा. राजेंद्र गर्ग, डॉ. राजेश अग्रवाल, डॉ. उत्तम खरोला, डॉ. डीपी रतूड़ी, डॉ. हरीश द्विवेदी, डॉ. केएन लखेड़ा, डॉ. यूपी गुप्ता, डॉ. बीएम सोनी आदि शामिल हुए।