देहरादून। गणेश चतुर्थी का त्योहार देहरादून में भी धूमधान से मनाया गया। शहर में काफी लोगों ने अपने घरों में भगवान गणपति की मूर्ती स्थापित कर गजानन की पूजा-अर्चना की। इस मौके पर शुभ समय में मूर्ति स्थापना के बाद पूजा अर्चना और भजन आदि कार्यक्रम आयोजित होने प्रारंभ हो गए।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर बृहस्पतिवार को शहर के अलग अलग स्थानों से शोभायात्राएं निकालीं गयी। इनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। सुबह 10 बजे सहारनपुर रोड स्थित वेडिंग प्वांइट से शोभायात्रा निकाली गयी, जो लाल पुल से यूटर्न लेकर आर्दश मंदिर, श्याम सुंदर मंदिर होते हुए गणेश उत्सव मैदान पहुंची। दूसरी शोभायात्रा पटेल नगर स्थित नागेश्वर महादेव से निकाली गयी। पटेलनगर, मोती बाजार, क्लेमनटाउन, मन्नूगंज-डाकरा, धामावाला, धर्मपुर आदि स्थानों पर गणेशोत्सव के लिए पांडाल सजाए गए हैं। बृहस्पतिवार को बप्पा पंडालों में विराज गए। परमपराआंे के अनुसार 11वें दिन बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन होगा। दस दिनों तक पंडालों में लालबाग के बादशाह की धूम रहेगी। बप्पा के लिए गुब्बारों, फूलों से पांडाल सजा दिए गए हैं। कहीं लाल बाग के राजा तो कहीं कोलकाता के कलाकारों द्वारा तैयार किए गए गणपति की स्थापना की गयी। इस बार भक्तों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए इको फ्रैंडली बप्पा की खरीददारी की है। पर्यावरण को नुकसान न हो इसके लिए लोगों ने मिट्टी और लकड़ी की प्रतिमाएं खरीदीं हैं। रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान श्रीगणेश की स्थापना करने से घर सुख समृद्धि का वास होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित संतोष खंडूड़ी के अनुसार गणेश चतुर्थी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। चतुर्थी को चंद्रमा को देखना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस रात्रि को चंद्रमा देखने से झूठा कलंक लगता है। इस दिन चंद्र दर्शन करने से भगवान श्रीकृष्ण को भी मणि चोरी का कलंक लगा था। साथ ही स्थापना स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखना जरूरी है।