देहरादून: भाऊवाला स्थित जीआरडी वर्ल्ड स्कूल में नाबालिग छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया तो जिम्मेदारों की भी मानो नींद खुल गई। जुट गए सभी अपने-अपने स्तर पर कागजी घोड़े दौड़ाने की कवायद में। अब हर कोई चौंक रहा है कि स्कूल में सीसीटीवी कैमरा तक नहीं हैं, बाकी व्यवस्थाओं का भी बुरा हाल है। दावा किया जा रहा है कि स्कूल की मान्यता रद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सभी ने अपने-अपने स्तर पर इसके लिए खतो-किताबत भी की है। संस्तुतियां भी भेजी हैं। लेकिन, अहम सवाल यह कि क्यों नहीं रूटीन तौर पर स्कूलों में व्यवस्थाओं की परख कर ली जाती है, किसी के पास नहीं है इसका जवाब। अगर ऐसा कर लें तो शायद इस तरह की शर्मनाक घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लग जाए।
स्कूल स्तर पर घोर लापरवाही
महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री ने शिक्षा मंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि उक्त प्रकरण में स्कूल प्रबंधन की घोर लापरवाही उजागर हुई है। वहीं घटना में आया से लेकर निदेशक तक की संलिप्तता है। उनकी एसएसपी से भी बात हुई, जिससे स्पष्ट होता है कि स्कूल प्रबंधन ने पीडि़ता को डरा धमकाकर घटना पर पर्दा डालने का प्रयास किया। स्कूल प्रबंधन छात्रा की सुरक्षा करने में विफल रहा, जिस कारण यह घटना हुई। ऐसे में स्कूल की मान्यता समाप्त की जानी चाहिए। ताकि अन्य आवासीय स्कूलों को भी यह संदेश जाए कि वह छात्राओं की सुरक्षा में लापरवाही न बरतें।
शिक्षा विभाग के निरीक्षण में मिली कई खामियां
शिक्षा विभाग की टीम ने मंगलवार को स्कूल का निरीक्षण किया। इस दौरान मुख्य शिक्षाधिकारी एसबी जोशी, सहसपुर के खंड शिक्षाधिकारी पंकज शर्मा के साथ विभाग के एक अन्य प्रतिनिधि मौजूद रहे। सीईओ ने बताया कि स्कूल में शिक्षा विभाग की टीम को कई खामियां दिखीं। निरीक्षण करने पहुंची टीम को स्कूल में मुख्य गेट, छात्रावास, क्लासरूम, कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं मिले। इतना ही नहीं, स्कूल के प्रशासनिक ब्लॉक के प्रथम तल के एक कक्ष में ग्रोटिंग तक नहीं की गई थी। साथ ही पिछले हिस्से की आधी दीवार टूटी हुई थी। इसके अलावा ब्वॉयज हॉस्टल में भी सुरक्षा की दृष्टि से खामियां पाई गई हैं। शिक्षा विभाग की टीम द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर सीईओ ने निदेशालय को स्कूल की मान्यता रद करने की संस्तुति की है।
सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय ने भी दिखाई सख्ती
पुलिस जांच में स्कूल प्रबंधन के गैर जिम्मेदाराना रवैया और संवेदनहीनता का सच का सामने आने के बाद अब सीबीएसई भी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहा है। इस मामले में सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। जिसका स्कूल द्वारा गोलमोल जबाव दिया गया। ऐसे में क्षेत्रीय कार्यालय ने मुख्यालय को स्कूल की कारगुजारी की जानकारी दे दी है। सीबीएसई देहरादून के क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए स्कूल की मान्यता खत्म किए जाने की संस्तुति बोर्ड से की है। इसके अलावा अन्य स्कूलों में इस प्रकार की घटनाएं न हों, इसके लिए बोर्ड ने सभी स्कूलों को सर्कुलर जारी किया है।
प्रबंधन की साजिश से एक माह बदहवास रही छात्रा
शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूल में नाबालिग छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म जैसे घिनौने पाप ने उन अभिभावकों को सन्न कर दिया, जिनके बच्चे बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ते हैं। क्योंकि प्रबंधन की ही साजिश से यह प्रकरण इतना गंभीर हुआ और दुष्कर्म पीड़ित छात्रा एक माह तक बदहवास हाल में माता-पिता से दूर अपनी छोटी बहन के साथ आंसू बहाती रही। फिर भी प्रबंधन का दिल नहीं पसीजा और उसका गर्भपात कराने से लेकर उसे दूसरे स्कूल में शिफ्ट करने का ही खेल होता रहा।
मंगलवार को महिला पुलिस की निगरानी में छात्रा को अदालत लाया गया। उसका चेहरा फक पड़ा हुआ था, आंखें सूजी हुई थीं। जिससे कोई भी सहज ही अंदाजा लगा सकता था कि 14 अगस्त को सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसे किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा होगा। उसकी यह मनोदशा शायद यह नहीं होती, यदि दुष्कर्म की बात पता चलने के बाद प्रबंधन आरोपित छात्रों को पुलिस को बुलाकर उसके हवाले कर देता, मगर यहां तो शातिर अपराधियों की तरह केस को दबाने की ही कोशिश होने लगी। पीड़ित को प्रशासनिक अधिकारी की पत्नी ने गर्भ गिराने के लिए देसी दवा पिलाई तो राजपुर रोड स्थित नर्सिंग में भी उसे कई दवाएं दी गईं। मगर एक बार भी प्रबंधन ने आरोपित छात्रों को बुलाकर उन्हें दंडित करने या उनके कृत्य को पुलिस तक पहुंचाने की कोशिश नहीं की।
स्कूल में छुप-छुप कर पोर्न फिल्मे देखते थे आरोपित
सामूहिक दुष्कर्म के आरोपित छात्र स्कूल में न सिर्फ मोबाइल पर छुप-छुप कर पोर्न फिल्में भी देखते थे। यही नहीं गर्ल्स हास्टल तक भी बेखौफ आवाजाही कर लेते थे। मंगलवार को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष पेश होने आए नाबालिग आरोपित छात्रों ने अपने बयान में इनका उल्लेख किया, साथ ही 14 अगस्त को छात्रा के साथ किए सामूहिक दुष्कर्म की साजिश का खुलासा किया।
मंगलवार को आरोपित तीन छात्रों को केदारपुरम स्थित न्याय किशोर बोर्ड में पेश किया गया। बोर्ड के अध्यक्ष भवदीप रावते व सदस्य डॉ. अनीता गैरोला, पूजा शर्मा ने तीनों के बयान दर्ज किए। आरोपितों ने इसके बाद तीनों को हरिद्वार स्थित बाल सुधार गृह भेज दिया गया। बोर्ड ने बताया कि आरोपित नाबालिग में से एक के पीडि़त छात्रा के साथ दोस्ताना संबंध थे। इसी का फायदा उठाते हुए आरोपितों ने छात्रा के साथ विश्वासघात किया। बोर्ड ने किशोरों के बयानों के बाद सामने आई अव्यवस्थाओं पर भी चिंता जताई है।
एक माह में पुलिस को सौंपनी है रिपोर्ट
जेजे बोर्ड के अध्यक्ष भवदीप रावते ने उक्त प्रकरण को लेकर पुलिस को एक माह के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं। रावते ने अपराध को जघन्य श्रेणी का बताते हुए विवेचक को निर्देशित किया है कि विवेचना के दौरान जिन गवाहों के बयान और जिन साक्ष्यों को वह एकत्र करती है, उसे एक माह के समक्ष बोर्ड के समक्ष पेश करे, ताकि इस मामले में आगे रिपोर्ट प्रेषित किया।
बोर्ड को करना पड़ा इंतजार
तीनों विधि विवादित बालकों की जेजे बोर्ड में पेशी का समय दोपहर 2 बजे तय था। लेकिन, पुलिस बालकों को लेकर शाम करीब 4:35 बजे पहुंची। इस दौरान जेजे बोर्ड के अध्यक्ष भवदीप रावते ने इंतजार करते रहे। जब पुलिस पहुंची तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों से ढाई घंटे देरी से पहुंचने को लेकर नाराजगी व्यक्त की।
अंग्रेजी तक नहीं समझ पाए
बोर्ड में पेशी को लाए गए तीन में दो बालक अंग्रेजी समझ नहीं पा रहे थे। जब उनसे अंग्रेजी में सामान्य से सवाल पूछे गए तो वह चुप रहे और हिंदी में पूछने को कहते नजर आए।
पीलीभीत में टेंट कारोबारी है सर्वजीत का पिता
सहसपुर पुलिस ने मंगलवार को एक बार फिर स्कूल पहुंचकर आरोपित छात्रों के दस्तावेजों को खंगाला। इस दौरान अब तक खुद को नाबालिग कह रहे सर्वजीत का जन्म प्रमाण पत्र हाथ लगा तो वह बालिग निकला। पिछले महीने ही वह 18 का हुआ है। इसके बाद पुलिस ने उसके नाम का खुलासा कर दिया।
सर्वजीत के परिजन भी मंगलवार को देहरादून पहुंच गए। पूछताछ में पता चला कि सर्वजीत के पिता मलूकदास का हरदासपुर में टेंट का कारोबार है। वहीं नाबालिग आरोपित छात्रों में से एक नेपाल मूल का है, जिसके पिता खेती-किसानी करते हैं। एक छात्र हरियाणा का तो एक पश्चिमी उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। इन सभी के पिता भी कारोबारी हैं।
सुरक्षा दरकिनार, मानवीय संवेदनाओं से भी किनारा
सीबीएसई व शिक्षा विभाग के निजी स्कूलों पर लगाम लगाने के तमाम निर्देश हवाई साबित हो रहे हैं। स्कूल न सिर्फ इन दिशा निर्देशों को दरकिनार कर रहे हैं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं तक से मुंह मोड़ रहे हैं। दून में बोर्डिंग स्कूल में छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म का मामला इसकी तस्दीक करता है।
देहरादून की पहचान एजुकेशन हब के तौर पर रही है। कई स्कूल हैं, जिनकी न केवल देश, बल्कि विदेश तक धाक है। लेकिन इस पहचान का फायदा उठा यहां एक के बाद एक कई बोर्डिंग स्कूल खुल गए हैं। जिनका नाम बेशक बड़ा है, पर यह शहर की साख पर बïट्टा लगा रहे हैं। एजुकेशन हब के नाम पर अभिभावक भी यहां छले जा रहे हैं। हालिया घटना ने छात्र-छात्राओं की सुरक्षा और अस्मिता बचाए रखने पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। इतना ही नहीं, स्कूलों में सुरक्षा को लेकर सीबीएसई के बनाए नियम और कायदे भी बेमानी साबित हो रहे हैं। शहर के एक नामचीन बोर्डिंग स्कूल का सच सामने आने के बाद मामले की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बोर्डिंग स्कूल में छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म का मामला सिर्फ आरोपित छात्रों की हैवानियत या फिर स्कूल में सुरक्षा संबंधी नियमों की अनदेखी का ही नहीं, बल्कि स्कूल प्रबंधन की संवेदनहीनता का भी है। स्कूल प्रबंधन की बात करें तो प्रबंधन ने मामले को हर स्तर पर दबाने का प्रयास किया। हालात बिगड़े तो छात्रों को बचाने के लिए दूसरे स्कूल में शिफ्ट किया गया, इतना ही नहीं छात्रा का गर्भपात तक कराने की कोशिश की गई। साफ दिख रहा है कि स्कूल में बच्चे कितने सुरक्षित हैं। यह हाल तब है जब गुरुग्राम की घटना के बाद स्कूलों में सुरक्षा उपायों को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ी। न केवल सीबीएसई ने इसे लेकर गाइडलाइन जारी की, बल्कि राज्य सरकार भी इसे लेकर संजीदा दिखाई दी।
सीबीएसई के निर्देश
– पॉक्सो कानून-2012 के तहत यौन उत्पीडऩ के लिए स्कूलों में आंतरिक समिति गठित हो।
– समिति के सदस्यों के नाम और संपर्क सूत्र स्कूल के बोर्ड केसाथ वेबसाइट पर भी उपलब्ध हो।
– सहायक कर्मचारियों की भर्ती मान्यता प्राप्त एजेंसी के माध्यम से करें और उनका रिकॉर्ड रखें।
– माली, चपरासी तथा वाहन चालक सहित सभी स्टाफ का पुलिस सत्यापन के साथ मनोस्थिति विश्लेषण कराया जाए।
-सभी स्कूलों को सीसीटीवी लगाना अनिवार्य है।
-छात्रों की सुरक्षा के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने को कहा गया।
-अभिभावकों, छात्रों तथा शिक्षकों के बीच एक समिति गठित करने को कहा गया है, जो बच्चों की शिकायतें सुनेगी।
शिक्षा विभाग के निर्देश
-स्कूल परिसर में हर क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे हों।
-स्कूल में छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मियों के लिए अलग-अलग शौचालय हो।
-किसी भी विद्यालय में शौचालय का प्रयोग संयुक्त रूप से न किया जाए।
-स्कूल में कार्यरत शिक्षक व कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन कराया जाए।
– स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों का प्रोफाइल फोटो के साथ चस्पा करें।
-स्कूल आने वाले बाहरी लोगों और आगंतुकों का पूर्ण विवरण रखा जाए।
-स्कूल प्रबंधक/प्रधानाचार्य प्रत्येक दिन यह जांच करें कि सीसीटीवी कैमरे क्रियाशील हैं, या नहीं।
-विभागीय अधिकारी भी समय-समय पर स्कूलों की व्यवस्था का जायजा लें।
स्कूल में सन्नाटा, शिक्षकों के चेहरों पर उड़ रही हवाइयां
जीआरडी वर्ल्ड स्कूल में मंगलवार को अचानक छुट्टी कर दी गई। जो बच्चे स्कूल आए, उन्हें घर भेज दिया गया। वहीं बोर्डिंग में रह रहे छात्र-छात्राओं के अभिभावक भी दून पहुंचने लगे हैं और अपने बच्चों को ले जाने लगे हैं। इन सब के बीच स्कूल में पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा। वार्डन से लेकर शिक्षकों तक के चेहरे पर हवाइयां उड़ी रहीं। उधर, छात्रा के साथ हुई वारदात के विरोध में भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने भी स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
एसएसपी निवेदिता कुकरेती से लेकर एसपी देहात सरिता डोभाल भी सहसपुर पुलिस से पल-पल की खबर लेते रहे। एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्कूल प्रबंधन ने इस घटना की शिक्षकों को भनक तक नहीं लगने दी। पूरा मामला प्रबंधन से जुड़े चार लोग व आया तक ही सीमित रहा। शिक्षकों को मामले की जानकारी तब हुई, जब कालेज में पुलिस टीम जांच के लिए पहुंची। शिक्षक ने बताया कि घटना के बाद से पीड़िता की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है। दरअसल, यहां कई शिक्षक अभी हाल में आए हैं, ऐसे में उन्हें भी इस मामले फंसने का डर सता रहा है।
रोक दी गई परीक्षा
स्कूल में इन दिनों तिमाही परीक्षा चल रही है। सोमवार तक स्कूल प्रबंधन और वहां पढ़ा रहे शिक्षकों ने जैसे-तैसे परीक्षा कराई, लेकिन लगातार गंभीर होते मामले को देखते हुए परीक्षा रोक दी गई।
नर्सिंग होम पर भी कसा जांच का फंदा
बोर्डिंग स्कूल में छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अब नर्सिंग होम पर भी जांच का शिकंजा कस गया है। स्वास्थ्य विभाग इस मामले में पुलिस रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। जिसके बाद विभाग अपने स्तर पर भी मामले की जांच करेगा।
सामूहिक दुष्कर्म पीड़ित छात्रा की मदद करने और दोषी छात्रों पर नकेल कसने के बजाय प्रकरण को ही रफा-दफा करने की साजिश न केवल स्कूल में हुई, बल्कि राजपुर रोड स्थित एक नर्सिंग होम की भूमिका भी इसमें सामने आई। इस नर्सिंग होम में छात्रा को ले जाया गया। यहां चिकित्सक मेडिकल चेकअप के बाद छात्रा का गर्भपात कराते, तब तक छात्रा के परिजन पहुंच गए और पूरी साजिश का भांडा फूट गया।
विदित हो कि स्कूल प्रबंधन द्वारा पीडि़ता का गर्भ गिराने का प्रयास किया गया। उसे गर्भ गिराने की बात कहकर कोई देसी दवा भी पिलाई गई। इससे छात्रा की तबीयत और बिगड़ गई तो उसे अगले दिन राजपुर रोड पर न्यू एंपायर सिनेमा के पास स्थित एक नर्सिंग होम में लाया गया। यहां छात्रा का चेकअप हुआ। प्रबंधन ने यहां के चिकित्सक से तत्काल गर्भपात करने को कहा। मगर चिकित्सक इसके आगे कुछ कर पाते, तब तक बड़ी बहन की सूचना छात्रा के माता-पिता अस्पताल पहुंच गए। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता का कहना है कि इस मामले में पुलिस रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। उसके बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।
नर्सिंग होम से स्टाफ गायब, आयोग अध्यक्ष भड़कीं
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मंगलवार शाम को राजपुर रोड स्थित नर्सिंग होम का निरीक्षण किया। टीम नर्सिंग होम पहुंची तो कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। करीब 30 मिनट बाद प्रबंधन के लोग पहुंचे तो टीम ने उन्हें भी फटकारा। आयोग अब पुलिस व जिला बाल कल्याण समिति की जांच रिपोर्ट आने की प्रतीक्षा कर रहा है। इसके बाद कोई कार्रवाई की जाएगी।
मंगलवार देर शाम आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी व सदस्य सीमा डोरा नर्सिंग होम पहुंची तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ मिला। जब टीम के सदस्यों ने आस-पास के लोगों से पूछा तो बताया गया कि उक्त मामले के बाद से यहां कोई नहीं है। टीम आने की सूचना के करीब 30 मिनट बाद प्रबंधन के लोग वहां पहुंचे। इस पर आयोग की अध्यक्ष ने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई। अध्यक्ष ने कहा कि उक्त प्रकरण को लेकर पुलिस व जिला बाल कल्याण समिति की जांच चल रही है। वह रिपोर्ट आने की प्रतीक्षा करेंगी। इसके बाद कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।
फर्जी अभिभावक साथ लाया था प्रबंधन
नर्सिंग होम के निरीक्षण के दौरान आयोग को पता चला कि जब स्कूल से छात्रा को लाया गया था तो उसके साथ एक महिला और पुरुष भी थे। उन्होंने खुद को छात्रा का अभिभावक बताया। ताकि डाक्टर को शक न हो।
बाल कल्याण समिति ने आश्रम के बच्चों के बयान किए दर्ज
कड़वापानी स्थित हरिओम आश्रम में बालक-बालिकाओं के गायब होने की शिकायत पर जिला बाल कल्याण समिति ने आश्रम का औचक निरीक्षण किया और आवश्यक जानकारी जुटाई। समिति ने कई बच्चों के बयान भी दर्ज किए। हालांकि, समिति को बच्चों के गायब होने का कोई तथ्य नहीं मिला। लेकिन, समिति ने आश्रम में शौचालय व चहारदीवारी सुविधाओं को लेकर आपत्ति जताई है और शीघ्र सुधार के दिशा-निर्देश दिए।
मंगलवार दोपहर को बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कविता शर्मा व सदस्य सुधा देवरानी हरिओम आश्रम पहुंचे। उन्होंने आश्रम संचालक से बालक-बालिकाओं के दस्तावेज मांगे। इसके बाद समिति ने सात बालक-बलिकाओं के बयान भी लिए। आश्रम में रहने, खाने-पीने, शौचालय समेत तमाम व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया। इस दौरान समिति ने देखा कि एक शौचालय में तीन-तीन सीटें लगाई गई थी। साथ ही चहारदीवारी के लिए केवल लोहे की जाली लगाई गई हैं जिसे सुरक्षा के लिहाज से उचित नहीं पाया गया। इस पर समिति ने आश्रम संचालक को व्यवस्थाएं शीघ्र सुधारने के निर्देश दिए।
आयोग के निरीक्षण पर हुआ था बवाल
बता दें कि दो सप्ताह पूर्व उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने आश्रम का निरीक्षण किया था। इस दौरान आयोग ने आश्रम की व्यवस्थाओं में कई खामियां पाई थी। साथ ही आश्रम में बालक-बालिकाएं गायब होने का अंदेशा जताया था। इस पर आश्रम संचालक अनुपानंद गिरी ने निरीक्षण का विरोध किया था और इस कार्रवाई को उत्पीड़न करने जैसा बताया था।