देहरादून: बत्ती गुल, मीटर चालू फिल्म शुक्रवार को सभी सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। फिल्म की शूटिंग टिहरी, ऋषिकेश और दून में होने के कारण स्थानीय लोगों में इसे लेकर काफी उत्साह देखने को मिला। इसमें उत्तराखंड की झलक देखकर दर्शक काफी खुश नजर आए। दून के सभी सिनेमाघरों में पहले दिन हाउसफुल शो रहा।
दर्शक इसे इस साल की सबसे एंटरटेनिंग फिल्म के रूप में देख रहे हैं। श्री नारायण सिंह की ओर से निर्देशित फिल्म में शाहिद कपूर ने सुशील कुमार पंत उर्फ एसके और श्रद्धा कपूर ने ललिता नौटियाल का किरदार निभाया है।
फिल्म की कहानी में बिजली देने वाली कंपनी के भ्रष्टाचार को दिखाया गया है। शाहिद (एसके )फिल्म में वकील की भूमिका निभा रहे है। जबकि श्रद्धा फैशन डिजाइनर है। एसके का दोस्त सुंदर लोन लेकर प्रिंटिंग प्रेस खोलता है। उसका बिजली का बिल 54 लाख रुपये आ जाता है। वह बिजली विभाग के चक्कर काटता रहता है, लेकिन कोई हल नहीं निकलता।
फिल्म में तीनों किरदारों के बीच प्रेम त्रिकोण को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। दून के सभी सिनेमाघरों में दर्शकों की अच्छी भीड़ देखने को मिली। दोपहर से शाम तक के शो हाउसफुल रहे। सिल्वर सिटी में फिल्म के छह शो दिखाए गए। इनमें सुबह से शाम तक के सभी शो हाउसफुल रहे।
सिनेमा मैनेजर राघवेंद्र सिंह ने बताया कि दोपहर के दोनों शो हाउसफुल रहे। लोगों ने पहले से ही ऑनलाइन टिकट बुक कर लिए थे। वहीं पैसिफिक, क्रॉस रोड, बिग सिनेमा, ग्लिट्ज में भी लोगों ने दोस्तों और परिवार के साथ फिल्म का लुत्फ उठाया। स्थानीय लहजा लाने के लिए ‘ठहरा’ और ‘बल’ का हद से ज्यादा प्रयोग फिल्म की कहानी में आम आदमी के मुद्दे को उठाया गया है।
वहीं स्थानीय लहजा लाने के लिए कुमाऊंनी और गढ़वाली शब्दों का प्रयोग किया गया है। लेकिन, ‘ठहरा’ और ‘बल’ के हद से ज्यादा प्रयोग के चलते कई जगह संवाद कमजोर नजर आते हैं।
बोले दर्शक
छाया राजपूत के अनुसार फिल्म काफी पसंद आई। इसमें पहाड़ों में बिजली की समस्या को दिखाया गया है। कहानी के माध्यम से एक आम आदमी की परेशानी को बेहतर तरीके से रखा गया है।
काफी अच्छा मुद्दा उठाया
कुसुम राणा के मुताबिक फिल्म की कहानी उत्तराखंड से जुड़ी है, जिसमें काफी अच्छा मुद्दा उठाया गया है। इसमें बल और ठहरा जैसे स्थानीय शब्दों का प्रयोग ठीक तरह से नहीं किया गया है।
बिजली समस्या का रोचक चित्रांकन
रमनदीप सिंह के अनुसार एक आदमी की बिजली की समस्या को काफी रोचक ढंग से फिल्म में दिखाया गया है। कुल मिलाकर फिल्म की कहानी सामाजिक समस्या पर चोट करती नजर आती है।
समस्या को किया बखूबी पेश
वेदप्रकाश के अनुसार पहाड़ों के कई घरों में आज भी लोग बिजली का इस्तेमाल नहीं करते। भ्रष्टाचार के चलते बिजली बिल से एक आम आदमी की परेशानी को फिल्म में बखूबी पेश किया गया है।
शानदार दृश्यों का फिल्मांकन
राजेंद्र सिंह के अनुसार टिहरी झील और ऋषिकेश के शानदार दृश्य दिखाए गए हैं। शाहिद और श्रद्धा का रोल भी काफी अच्छा है। बस बल और ठहरा शब्दों का प्रयोग हद से ज्यादा कर दिया।