नैनीताल: प्रसिद्ध राज्य आंदोलनकारी डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट का तड़के चार बजे अल्मोड़ा स्थित आवास पर निधन हो गया। वह 71 साल के थे और पिछले काफी दिनों से कीडनी की बीमारी से जूझ रहे थे।जनवादी गीतों के साथ उन्हें हजारों लोगों ने विश्व नाथ घाट पर दी अंतिम विदाई दी गई।
1972 में अल्मोड़ा छात्रसंघ अध्यक्ष रहे डॉ बिष्ट ने पर्वतीय युवा मोर्चा, उत्तराखंड लोकवाहनी के संस्थापक होने के साथ नशा नहीं रोजगार दो, वन बचाओ समेत राज्य आंदोलन में सक्रिय रहे। साथ ही नदियों को बचाने व बड़े बांधों के खिलाफ जिंदगी भर संघर्षरत रहे।
उनके करीबी मित्र व नैनीताल निवासी वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह ने बताया कि उनकी अंत्येष्टि अल्मोड़ा में की गई। उनके निधन पर आंदोलनकारी व जनवादी संगठनों व बुद्धजीवी तबके में शोक की लहर दौड़ गई है।
उत्तराखंड में जनसंघर्षों के सबसे देदीप्यमान प्रतीक डॉ. बिष्ट मूल रूप से खटल गांव (स्याल्दे) के निवासी थे। उनका जन्म 4 फरवरी 1947 को अल्मोड़ा में हुआ था। 1974 की अस्कोट-आराकोट यात्रा ने उनका जीवन बदल दिया और सारे प्रलोभन ठुकरा कर वे पूरी तरह उत्तराखंड को समर्पित हो गए।
डॉ. बिष्ट लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और उन्हें शुगर भी था। हाल ही में लंबे समय तक उनका एम्स में इलाज चला था और स्वस्थता के बाद वह घर लौट आए थे।