मुंबई। दिल्ली के मशहूर बाटला हाउस एनकाउंटर को लेकर सियासत हमेशा गरमाई रहती है और अब वो इस पर बनने वाली फिल्म भी इस घटना को और सुर्ख़ियों में रखेगी। फिल्म में जॉन अब्राहम लीड रोल में होंगे।
टी-सीरीज़ के भूषण कुमार, निखिल आडवाणी और जॉन अब्राहम मिल कर इस फिल्म को प्रोड्यूस कर रहे हैं। बाटला हाउस नाम की ये फिल्म अगले साल 15 अगस्त के मौके पर रिलीज़ की जायेगी।फिल्म से जॉन का लुक रिलीज़ किया गया है, जिसमें वो वर्दी पहने और चश्मा लगाए बहुत ही कड़क मिज़ाज अंदाज़ में नज़र आ रहे हैं। फिल्म में जॉन का रोल संजीव कुमार यादव का होगा, जिनकी बाटला हाउस एनकाउंटर में बड़ी भूमिका होगी। फिल्म की और अधिक जानकारी देने के लिए रविवार को फिल्म के दो टीज़र पोस्टर लॉन्च किये जाएंगे। सत्यमेव जयते की प्रोड्यूसर टीम की तरफ़ से बनाई जाने वाली बाटला हाउस एक थ्रिलर ड्रामा होगी। रितेश शाह की लिखी इस फिल्म को निखिल आडवाणी डायरेक्ट करेंगे।
ये कहानी एक ऐसे पुलिसवाले की होगी जिसने कई सारे मेडल हासिल किये लेकिन वो उतना ही विवादित भी रहा। जॉन जिस पुलिसवाले का रोल करेंगे उसके नाम 70 एनकाउंटर , 30 मामलों में 22 को सजा दिलवाने और 9 वीरता पुरस्कार पाने के रिकॉर्ड है। जॉन के मुताबिक मद्रास कैफे और परमाणु द स्टोरी और पोखरण जैसी फिल्म बनाने के बाद वो बाटला हाउस की स्क्रिप को लेकर बहुत ही उत्सुक थे। रितेश की स्क्रिप्ट उच्च स्तर की रही और उसकी इमोशनल और थ्रिलिंग स्टोरी ने मुझे काफी प्रभावित किया। और इसी कारण मैं लोगों तक इस कहानी को ले जाने के लिए तत्पर हूँ। ये फिल्म अक्टूबर में फ्लोर पर जायेगी और इसकी शूटिंग दिल्ली के अलावा जयपुर, लखनऊ, मुंबई और नेपाल में भी होगी। निखिल और रितेश ने एयरलिफ्ट और डी- डे में साथ काम किया था। और चार साल की रिसर्च के बाद रितेश ने ये कहानी लिखी।
साल 2008 में 19 सितम्बर को दिल्ली के बाटला हाउस में एनकाउंटर हुआ था। इसे ऑपरेशन बाटला हाउस का नाम दिया गया। दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इंडियन मुजाहिदीन के दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद को मार गिराया गया लेकिन सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए। उस दौरान एक और आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस एनकाउंटर का नेतृत्व कर रहे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा इस घटना में मारे गए। मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिसके खिलाफ अनेक राजनीतिक दलों ने इस मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए इसकी जांच कराने की मांग की।