नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यावरण के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए आज ‘चैंपियंस ऑफ अर्थ’ के खिताब से सम्मानित किया गया। दिल्ली में हुए कार्यक्रम में यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरेस ने प्रधानमंत्री को सम्मानित किया। गुटेरेस ने इस मौके पर कहा कि पीएम मोदी ने स्वीकार किया कि जयवायु परिर्वतन से हमें सीधे तौर पर खतरा है। वह जानते हैं कि इस आपदा से बचने के लिए हमें किस चीज की जरूरत है। ग्रीन इकॉनमी का आने वाले दशक में बड़ा योगदान होगा।पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा, ‘ये सम्मान पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भारत की सवा सौ करोड़ जनता की प्रतिबद्धता का है। चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवॉर्ड, भारत की उस नित्य नूतन चीर पुरातन परंपरा का सम्मान है, जिसने प्रकृति में परमात्मा को देखा है। जिसने सृष्टि के मूल में पंचतत्व के अधिष्ठान का आह्वान किया है।’उन्होंने कहा, ‘देखिए, मौजूद दौर की मांग है कि आबादी को पर्यावरण पर, प्रकृति पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना, विकास के अवसरों से जोड़ा जाए। इसलिए मैं पर्यावरण से न्याय की बात करता हूं। जलवायु परिवर्तन की चुनौती से जलवायु के साथ न्याय सुनिश्चित किए बिना निपटा नहीं जा सकता।’ उन्होंने कहा कि ये संवेदना है जो हमारे जीवन का हिस्सा है। पेड़-पौधों की पूजा करना, मौसम, ऋतुओं को व्रत और त्योहार के रूप में मनाना, लोरियों-लोकगाथाओं में प्रकृति से रिश्ते की बात करना, हमने प्रकृति को हमेशा सजीव माना है, सहजीव माना है।पीएम मोदी ने कहा, ‘ये भारत के आदिवासी भाई-बहनों का सम्मान है,जो अपने जीवन से ज्यादा जंगलों से प्यार करते हैं। ये भारत के मछुआरों का सम्मान है, जो समंदर से उतना ही लेते हैं, जितना अर्थ उपार्जन के लिए आवश्यक होता है। ये भारत के किसानों का सम्मान है, जिनके लिए ऋतुचक्र ही जीवनचक्र। आज भारत दुनिया के उन देशों में है जहां सबसे तेज़ गति से शहरीकरण हो रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मौके पर कहा कि आज भारत के लिए बहुत बड़े गौरव का दिन है। आज हमारे प्रधानमंत्री को पर्यावरण के क्षेत्र में नेतृत्व देने के लिए ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ अवॉर्ड से सम्मानित किया जा रहा है। पृथ्वी हमारे लिए ग्रह नहीं है, बल्कि वह हमारे लिए मां है। भारत में जब भवन बनाए जाते हैं तो भूमि-पूजन किया जाता है।