देहरादून, राज्य के कमजोर और वंचित लोगों को सहारा देने को चलाई जा रहीं समाज कल्याण महकमे की योजनाएं जिला समाज कल्याण अधिकारियों के बैंक खातों में बंधक बनकर रह गई हैं। बड़ी बात यह है कि ये बैंक खाते नियम ताक पर रखकर अवैध रूप से संचालित हैं। पार्किंग ऑफ फंड्स के इस नायाब तरीके के चलते 45.90 करोड़ से ज्यादा धनराशि की वित्तीय गड़बड़ी पकड़ी गई है। बानगी देखिए, गौरादेवी कन्याधन योजना की तीन करोड़ से अधिक राशि पात्रों को नसीब नहीं हुई। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की 600 से अधिक बालिकाओं को कन्याधन की 50 हजार की राशि नहीं मिल सकी। वहीं निराश्रित विधवाएं पुत्रियों की शादी के लिए अनुदान को तरस गई। विभागीय अधिकारियों की ये लापरवाही सरकार की किरकिरी का सबब बनी है। उधर, विभागीय मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि उक्त मामले में संबंधित जिला समाज कल्याण अधिकारियों का जवाब तलब किया जाएगा। पात्रों को योजनाओं का लाभ पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार की ओर से कराए गए वित्तीय वर्ष 2016-17 के ऑडिट में चंपावत, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, हरिद्वार, पौड़ी और उत्तरकाशी जिलों में समाज कल्याण महकमे की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में बरती जा रही वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को जिलों में तैनात जिम्मेदार अधिकारी ही पलीता लगाने पर तुले हैं। नतीजतन सैकड़ों पात्र लोग योजनाओं का फायदा लेने से वंचित रह गए। नियम विरुद्ध खाते पकड़े चंपावत, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जिलों में बगैर शासन या वित्त विभाग की अनुमति के सात-सात बैंक खाते खोल दिए गए। ऐसे खातों में चंपावत जिले में 4.86 करोड़, अल्मोड़ा जिले में 4.53 करोड़, पौड़ी जिले में 6.46 करोड़ और उत्तरकाशी जिले में 6.18 करोड़ की धनराशि चालू खाते में रखी गई थी।इसी तरह हरिद्वार जिले में सर्वाधिक 23.96 करोड़ की राशि की पार्किंग हुई। अनधिकृत खोले गए बैंक खाते न तो बंद किए गए और उनमें अवशेष धनराशि को विभागीय पीएलए में भी नहीं रखा गया। उक्त धनराशि पर ब्याज की राशि भी वापस नहीं की गई। जांच में यह भी पाया गया कि आवेदन के बावजूद गौरादेवी कन्याधन योजना में चंपावत में 34.50 लाख, अल्मोड़ा में 103 लाख, पिथौरागढ़ में 96.50 लाख व पौड़ी जिले में 70.50 लाख धनराशि गरीब कन्याओं को नहीं मिली। 23 मई, 2016 को जारी शासनादेश में गरीबी रेखा से नीचे निवास कर रहे समस्त परिवारों की दो बालिकाओं को इंटर परीक्षा पास करने पर प्रोत्साहन के रूप में 50 हजार रुपये की राशि कन्याधन के रूप में देने का प्रावधान किया गया। अल्मोड़ा जिले में निराश्रित विधवाओं की पुत्रियों की शादी के लिए 9.50 लाख रुपये का अनुदान का उपयोग नहीं किया गया। इसी तरह उक्त जिलों में राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना की लाखों की धनराशि को विभागीय खातों में ही नियम विरुद्ध ढंग से रखा गया।