देहरादून: प्रदेश में डेंगू का डंक लगातार गहराता जा रहा है। अब हर दिन इस बीमारी के नए मरीज सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को 60 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। डेंगू का सर्वाधिक प्रकोप धर्मनगरी हरिद्वार में दिख रहा है। यहां 50 मरीजों में डेंगू का रिजल्ट पॉजीटिव आया है। प्रदेश में अब तक 273 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। जबकि, दो मरीजों की मौत भी हुई है।
मानसून की विदाई के साथ ही डेंगू के मच्छर ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ दिनों से डेंगू पीडि़तों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। राजधानी दून में हालात फिर भी नियंत्रण में हैं, पर हरिद्वार में डेंगू के अधिक मामले सामने आ रहे हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार देहरादून में सात, हरिद्वार में 50 और टिहरी गढ़वाल में तीन मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। जनवरी से अब तक के डेंगू के मामलों पर नजर डालें तो देहरादून में 67, हरिद्वार में 112, नैनीताल में 20, पौड़ी गढ़वाल में चार, टिहरी गढ़वाल में 58, ऊधमसिंहनगर में 10 और अल्मोड़ा में दो मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।
डेंगू से मरने वाले दोनों मरीज टिहरी गढ़वाल के हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में लार्वानाशक दवा का छिड़काव किया गया है। इसके अलावा फॉगिंग भी कराई जा रही है। लोगों को अपने आसपास पानी न जमा होने देने को लेकर जागरूक किया जा रहा है।
डेंगू से बचने के लिए फुल आस्तीन यूनिफॉर्म पहनने के निर्देश
प्रदेशभर में डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। आएदिन बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित है। इसी को लेकर अब अपर सचिव स्वास्थ्य एवं एनएचएम के मिशन निदेशक युगल किशोर पंत ने प्रदेशभर के स्कूलों को एडवाइजरी जारी की है।
पंत ने बताया कि डेंगू रोगियों में स्कूली विद्यार्थी भी अधिक संख्या में शामिल हैं। इसी को देखते हुए समस्त राजकीय व निजी विद्यालय अपने छात्रों को पूरी बांहों वाले कपड़े व शरीर को ढकने वाली यूनिफॉर्म पहनने के लिए निर्देशित किया गया है।
अपर सचिव चिकित्सा ने बताया कि जनपद देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा के मैदानी क्षेत्र डेंगू से प्रभावित हैं। बताया कि विभागीय स्तर पर बचाव एवं नियंत्रण के लिए अमल में लाई गई रणनीति के कारण डेंगू के मरीजों की संख्या बीते वर्षों की तुलना में कम है।
विशेषज्ञों के अनुसार मौसम परिवर्तन के कारण डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के पनपने से रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है। ऐसे में एहतियात के तौर पर डेंगू से बचाव एवं नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण उपाय को व्यापक स्तर पर क्रियान्वित किया जाना बेहद आवश्यक है।
इसके साथ ही विद्यालय परिसर में निरंतर डेंगू रोग के मच्छर पनपने के स्थानों को चिह्नित करने के निर्देश दिए गए हैं। विद्यालयों के जरिये अभिभावकों व छात्रों को डेंगू के मच्छरों के काटने से बचाव के तरीके को लेकर जागरूक करने की भी बात कही गई है। डेंगू की रोकथाम के लिए जिलाधिकारियों से सहयोग की अपील की गई है।
फिर हांफने लगी जीवनदायिनी 108
पहाड़ की लाइफ लाइन 108 एंबुलेंस की सेवाएं पटरी से उतरने लगी हैं। बजट के अभाव में 108 के कर्मचारियों को पिछले तीन माह से वेतन नहीं मिला है। जिस कारण टिहरी व ऊधमसिंह नगर में कर्मचारी छुट्टी चले गए हैं। जिससे 108 के पहिए थम गए हैं। अन्य जगह भी कर्मचारियों ने पांच अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया है।
प्रदेश में आपात स्थिति में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए 108 सेवा शुरू की गई थी। इसके संचालन को 80 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार और 20 प्रतिशत धनराशि केंद्र सरकार मुहैया कराती है। आपात स्थिति में मरीज को तुरंत सेवा प्रदान कर अस्पताल पहुंचाने वाली जीवनदायिनी 108 एंबुलेंस लंबे समय से बुरे दौर से गुजर रही है। कभी ईंधन तो कभी वाहनों के खस्ताहाल होने से परेशानी बढ़ती ही जा रही है।
स्थिति यह है कि कर्मचारियों को वेतन के भी लाले पड़े हुए हैं। 108 और खुशियों की सवारी का सालभर का बजट लगभग 30 करोड़ है। पिछले छह माह में इस वित्तीय वर्ष का एक भी रुपया नही मिला। जो 3.07 करोड़ रुपये मिला वह पिछले वित्तीय वर्ष का है।
इसके अलावा दो दिन पहले 68 लाख रुपये जारी किए गए हैं। लेकिन उससे स्टाफ की तीन माह की सैलरी भी नही हो पाएगी। क्योंकि 108 और खुशियों की सवारी के कर्मचारियों का एक माह का वेतन ही लगभग 1.15 करोड़ है। 108 के प्रदेश प्रभारी मनीष टिंकू का कहना है कि वेतन का भुगतान अगले कुछ दिनों में कर दिया जाएगा।
कुछ कर्मचारियों के छुट्टी जाने की बात उन्होंने स्वीकार की। उनका कहना है कि एस्मा लागू है और हड़ताल पर कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।