देहरादून: मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना के साथ शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो गया। मठ-मंदिरों में प्रात:काल घट स्थापना के साथ मां नव दुर्गा के प्रथम रूप शैल पुत्री की पूजा अर्चना शुरू हो गई है। वहीं, पूजा पंडालों में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित कर पूजन आरंभ हो गया है।प्रात:काल से ही धर्मनगरी हरिद्वार के विभिन्न मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा और माहौल मां दुर्गा के जयकारों से गूंज उठा। मां इस बार नाव पर सवार होकर भक्तों के द्वार पहुंची है।इससे पहले भक्तों ने मां दुर्गा के सुमिरन के साथ घट स्थापना शुरू की और मां के भक्त गंगा तट पहुंचकर कलशों में गंगाजल भरकर लाए। मां दुर्गा के आह्वान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ घर के देव स्थल पर मिट्टी से खेत्री (मां का दरबार) बनाई। इसमें जौ बोए गए और फिर कलशों में गंगाजल के साथ कुशा, अक्षत, रौली, चांदी का सिक्का आदि रखा गया। तत्पश्चात कलश के शीर्ष भाग पर रक्तवर्णी वस्त्र में लपेट कर श्रीफल विराजा गया। इसके बाद गणेश पूजन व नव ग्रह पूजन कर स्थान देवता और कुल देवताओं का आह्वान कर मां दुर्गा का पूजन हुआ। मां दुर्गा की स्तुति और आह्वान के साथ कलशों को खेत्री के ऊपर प्रतिष्ठित किया। इस तरह से मठ-मंदिर से लेकर घर-घर घट स्थापना हुई। इसके बाद भक्तों ने मां दुर्गा का व्रत रखकर मां के दरबार में माथा टेका और चुनरी आदि प्रसाद मां के दरबार में चढ़ाया। आज ही आदि शक्ति नव दुर्गा के दूसरे रूप ‘ब्रह्मचारिणी’ की पूजा-अर्चना भी है। क्योंकि, प्रथम व द्वितीय तिथि इस बार एक साथ है। नवरात्रों के शुरू होने के साथ ही मंसा देवी, चंडी देवी, माया देवी, सुरेश्वरी देवी, शीतला देवी समेत अन्य मंदिरों में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ी। सामान्य मिट्टी के बर्तन या ताम्र बर्तन में कलश की स्थापना कर सकते हैं। अखंड जोत करने वाले श्रद्धालु कलश स्थापना में दो नारियल, इसमें से एक कलश के ऊपर और दूसरा अखंड ज्योत के पास रखें। पहले मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें हरियाली के प्रतीक जौ बोएं। इसके बाद कलश को विधिपूर्वक स्थापित करें। श्रीफल, गंगाजल, चंदन, सुपारी, पान, पंचमेवा, पंचामृत आदि से मां भगवती की आराधना करें। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह छह बजकर 15 मिनट से शुरू हुआ। सुबह दस बजकर 11 मिनट तक है। यानि कुल तीन घंटे 55 मिनट। 19 अक्टूबर को दसवें दिन विजय दशमी मनाई जाएगी। पंडित वंशीधर नौटियाल ने बताया कि नवरात्र के नौ दिन दुर्गा मां के नौ रूपों को समर्पित हैं। इसलिए निर्धारित दिनों में उसी मां की पूजा की जाती है। ऐसा करने से मां भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं और उनके परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। पंडित वंशीधर नौटियाल ने कहा कि जिन घरों में नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाई जाती है, वहां देवी मां की कृपा बनी रहती है। लेकिन, अखंड ज्योत का विधि-पूर्वक पालन भी करना होता है। अखंड ज्योत जलाने वाले व्यक्ति को समीप ही सोना होता है। इसकी नियमित देखरेख की जाती है। नवरात्र से पहले दिन सुबह से ही बाजारों में रौनक है। इससे व्यापारियों के चेहरे पर भी मुस्कान देखी गई। खासकर हनुमान चौक, पलटन बाजार, झंडा रोड, सहारनपुर रोड, दिलाराम बाजार समेत कई अन्य बाजारों में खासी चहल-पहल है। नवरात्र शुरू होते ही फल व अन्य खाद्य सामग्री के दाम में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। फलों के दामों में 20 से 40 रुपये की वृद्धि देखी गई है, जबकि मखाना, सिंघाड़ा, कुट्टू का आटा, मूंगफली, काजू, किशमिश, नारियल के दाम भी बढ़े हैं। शारदीय नवरात्र के शुभारंभ पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने ऋषिकेश में गंगा में स्नान किया। यहां के मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता रानी के पूजन के लिए पहुंचे। पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजन हुआ। श्रद्धालुओं ने अपने घरों में कलश की स्थापना की। त्रिवेणी घाट में सेम नागराजा मंदिर छिदरवाला से पंडित टीकाराम जोशी के मार्गदर्शन में देव डोली पहुंची। डोली को गंगा स्नान कराया गया। ढोल दमाऊ की थाप के बीच श्रद्धालुओं ने देव डोली से आशीर्वाद लिया। यहां के सभी प्रमुख मंदिरों में नौ दिन तक भजन व धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा। आज से विभिन्न स्थानों पर सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के पंडाल सज गए हैं।