देहरादून: दून शहर में नगर निगम में पार्षद के टिकट की उम्मीद लगाए बैठे भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं के सपने धराशाई हो गए हैं। सौ वार्डों में सरकार ने 50 को आरक्षित घोषित किया हुआ है। महिलाओं का वर्चस्व इस मर्तबा भी बरकरार रहेगा। उनके खाते में 25 सामान्य व नौ आरक्षित सीटें हैं। इन सीट में कईं ऐसी सीटें हैं, जो पिछले निकाय चुनाव में सामान्य पुरुषों के खाते में थीं। इससे उन पार्षदों को झटका लगा है, जो इस मर्तबा भी दावेदारी ठोकने की तैयारी कर रहे थे। दून नगर निगम में चूंकि इस बार 100 वार्ड पर चुनाव होने हैं। परिसीमन के बाद 72 ग्राम सभाएं इसमें जुड़ी हैं, लिहाजा जो ग्राम में प्रधान की दावेदारी कर रहे थे, वे इस बार पार्षद का चुनाव लड़ेंगे। शहर का दायरा और राजनीतिक कद, दोनों बढ़ चुके हैं। इसलिए आरक्षण के लिए लंबी कसरत चल रही थी। आरक्षण सूची जारी होने के बाद से ही पार्षदों में खलबली मची हुई है।सूची में 50 सीटें सामान्य, 25 महिला, चार पिछड़ी जाति महिला, चार अनुसूचित जाति महिला व एक अनुसूचित जनजाति महिला के लिए रखी गई हैं। वहीं, आठ-आठ सीटें पिछड़ी जाति व अनुसूचित जाति के लिए अलग से हैं। हालांकि, महिला आरक्षित कुछ वार्ड में बड़े पैमाने पर विरोध भी है। 93 नंबर वार्ड पर सबसे ज्यादा विरोध हो चुका है। राज्य सरकार ने यह वार्ड पिछली जाति महिला के लिए आरक्षित किया है, जबकि वार्ड के पुरुषों का आरोप है कि ग्राम पंचायत वाले वक्त भी पूरी ग्राम सभा महिलाओं के लिए आरक्षित वार्ड-93 आरकेडिया-2 को लेकर हेमंत सिंह भंडारी समेत 14 ग्रामीण पुरुषों ने आपत्ति लगाई थी। उनका आरोप है कि पिछले ग्राम सभा चुनाव में ग्राम में जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्रीय पंचायत सदस्य और वार्ड सदस्य की सीटें महिला आरक्षित थी। अब सरकार ने सीट फिर से महिला आरक्षित कर दी। पुरुषों ने इसे केवल पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित करने की मांग की थी। शहर में कुछ सीटों पर भी महिला आरक्षण को लेकर हलचल मची हुई है। इसमें कईं सीटें ऐसी हैं जिन पर वर्तमान में भाजपा व कांग्रेस के पुरुष पार्षद काबिज हैं। आरोप है कि विधायकों ने मनमुताबिक आरक्षण प्रक्रिया को अंजाम दिलाया है।जो वर्तमान पुरुष पार्षद इस बार भी दम ठोक रहे थे और उनकी सीट महिलाओं के नाम आरक्षित हो गईं, वे अब अपनी पत्नी को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ ने तो पत्नी के नाम से शुभकामनाओं के बैनर वार्ड में लगा दिए हैं। ऐसे पार्षदों ने पत्नी के नाम से पार्टी फोरम में दावेदारी के फार्म भी जमा कर दिए हैं।