CBI ने हाई कोर्ट में कहा- सज्जन कुमार को बचा रही दिल्ली पुलिस

नई दिल्ली। 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की भूमिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने बड़ा सवाल खड़ा किया है। सीबीआइ ने मामले में दिल्ली पुलिस पर भी सवाल खड़े किए हैं। सीबीआइ का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने पूरे मामले में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता को बचाने का प्रयास किया है।केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने दिल्ली पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाया है। सीबीआइ ने हाई कोर्ट में कहा है कि मामले में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार पर लगे आरोप पर दिल्ली पुलिस की भूमिका दागी है। दिल्ली पुलिस ने राजनेताओं का बचाव करने की कोशिश की थी। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर व न्यायमूर्ति विनोद गोयल के समक्ष जांच एजेंसी ने कहा कि पुलिस ने एफआइआर को ऐसे ही छोड़ दिया कि पीड़ित पक्ष खुद ही मामले में समझौता कर लेगा। मामले की अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।सीबीआइ की ओर से वरिष्ठ वकील आरसी चीमा ने बहस पूरी की। आगामी 22 अक्टूबर को सज्जन कुमार की तरफ से बहस की जाएगी। वहीं पीड़ितों के वकील एचएस फूलका ने कहा कि मामले में शुरुआती आरोप पत्र में सज्जन कुमार का नाम था। दिल्ली पुलिस ने इसे कभी दाखिल नहीं किया। पुलिस ने इस तथ्य को हमेशा अपनी फाइलों में दबाए रखा।सीबीआइ ने कहा कि पीड़ितों ने सज्जन कुमार का नाम लिया था। बावजूद, पुलिस ने सज्जन का नाम छोड़कर अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया। सीबीआइ के वकील ने यह भी कहा कि सज्जन कुमार को किस तरह से सहयोग किया गया, इसका एक उदाहरण यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जीटी नानावती की अध्यक्षता में 2005 में बने कमीशन द्वारा सज्जन कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की सिफारिशों को मानने से तत्कालीन सरकार ने इन्कार कर दिया था।इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली कैंट के राज नगर में परिवार के पांच सदस्यों की हत्या की गई थी। इसमें कैप्टन भागमल, पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, गिरधारी लाल और दो अन्य को दोषी ठहराया गया था। इसके खिलाफ दोषियों ने हाई कोर्ट में अपील की थी। सीबीआइ ने सज्जन कुमार को बरी किए जाने के खिलाफ अपील की है।

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