नई दिल्ली। बुजुर्गों के लिए दिल्ली पुलिस ने कई योजनाएं चला रखी हैं। न केवल उनकी हिफाजत बल्कि दवा आदि का प्रबंध भी पुलिस की ओर से किया जाता है। सुरक्षा के तमाम इंतजामों के बावजूद अपराधी उन्हें आसानी से अपना शिकार बना रहे हैं। पुलिस दावा करती है कि अकेले रहने वाले बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए वह हमेशा प्रयासरत रहती है। उनसे लगातार संपर्क किया जाता है। उन्हें फोन किया जाता है और उनकी मदद के संबंध में जानकारी ली जाती है। बीट कांस्टेबल नियमित रूप से उनके संपर्क में रहते हैं, लेकिन ये दावे हवा-हवाई हैं।बता दें कि पुलिस हर साल अपने आंकड़े दिखाने के लिए 3-4 हजार नए बुजुर्गों का पंजीकरण करती है। वर्ष 2017 में करीब 4000 नए पंजीकरण किए गए। पहचान पत्र भी दिए गए। पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में अकेले रहने वाले बुजुर्गों की संख्या करीब 31 हजार हो गई है।दिल्ली पुलिस बुजुर्गों के लिए जितनी योजनाएं चलाने का दावा करती है, यदि उन पर सही में अमल किया जाए तो अपराधी उन्हें निशाना नहीं बना पाएंगे। बीट ऑफिसर नियमित रूप से बुजुर्गों का हालचाल ले तो लूटपाट जैसी घटनाएं नहीं होंगी।दरअसल, इसके पीछे बड़ा कारण यह भी है कि दिल्ली पुलिस में कर्मचारियों की कमी है। बीट ऑफिसर थाने के ही नियमित काम में इतने व्यस्त होते हैं कि बुजुर्गों पर ध्यान नहीं रख पाते।इस वर्ष सलाना प्रेस वार्ता में पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि बुजुर्गों के प्रति जघन्य अपराध में कमी आई है। वर्ष 2016 में जहां बुजुर्गों के साथ अलग-अलग तरह के 149 अपराध हुए थे, वहीं 2017 में यह आंकड़ा 122 पर सिमट गया। बुजुर्गों की हत्या जैसे अपराध भी 2016 के मुकाबले कम हुए।वार्षिक प्रेस वार्ता में पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने बुजुर्गों की सुरक्षा को प्राथमिकता बताते हुए कई कदम उठाने के दावे किए थे। दावा किया गया था कि दिल्ली में रह रहे 31 हजार बुजुर्गों के सुरक्षा प्रबंध की जांच की गई। बीट ऑफिसर द्वारा 5 लाख 58 हजार से ज्यादा बार बुजुर्गों के घरों का दौरा करने की बात कही गई थी।पुलिसकर्मियों द्वारा टेलीफोन से 3 लाख 92 हजार से ज्यादा बार बुजुर्गो से संपर्क साधने की बात भी कही गई थी। बताया गया था कि सीनियर सिटिजन मोबाइल एप से बुजुर्ग असानी से दिल्ली पुलिस से जुड़ रहे हैं। एप में सुरक्षा बटन भी है, जिसके दबाते ही इमरजेंसी कॉल सीनियर सिटिजन हेल्पलाइन नंबर पर चली जाएगी। बाद में इस संबंध में एसएमएस द्वारा थाने के एसएचओ और बीट ऑफिसर को भी सूचनाएं भेजी जाती हैं। छह हजार से ज्यादा बुजुर्ग एप को डाउनलोड कर चुके हैं। बीट ऑफिसर को बुजुर्ग के घर पर पहुंचकर सेल्फी मोबाइल एप पर अपलोड करनी होती है। एप पर एसएचओ सहित वरिष्ठ अधिकारियों की नजर रहती है। इन सब दावों के बावजूद बुजुर्गों के साथ वारदात हो रही हैं।