हाईकोर्ट की डबल बेंच ने विस में कल होने वाले शक्ति परीक्षण पर लगाई रोक

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5 अप्रैल तक केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा
अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 अप्रैल को होगी
कांग्रेस के बागी विधायकों को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली

देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए 31 मार्च को विधानसभा में होने वाले शक्ति परीक्षण पर रोक लगा दी हैै। कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए 5 अप्रैल तक केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 अप्रैल को होगी।
हरीश रावत को 31 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने के नैनीताल हाईकोर्ट के एकल पीठ के फैसले को बीजेपी ने डबल बेंच में चुनौती दी थी। इस मामले में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने डबल बेंच के सामने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान अदालत ने एजी मुकुल रोहतगी से यह भी पूछा कि जब राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए 28 मार्च का समय दिया था तो जल्दबाजी में राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया। रोहतगी ने जवाब में कहा कि क्योंकि हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप सामने आ रहे थे, इसलिए राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। अदालत ने इस दौरान कहा कि वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि धारा-356 का राजनीतिक इस्तेमाल न हो। रोहतगी ने 29 मार्च के एकलपीठ के आदेश पर तीन दिन के लिए स्टे के साथ ही शक्ति परीक्षण टालने और अगले सप्ताह सुनवाई करने का अनुरोध किया था। केंद्र सरकार की दलील थी कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा है, ऐसे में हरीश रावत को बहुमत साबित करने का मौका नहीं मिलना चाहिए।
वहीं, नैनीताल हाईकोर्ट की एकलपीठ में चल रहे अन्य मामले में कांग्रेस के बागी विधायकों को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। बागी विधायकों ने हाईकोर्ट की एकलपीठ में स्पीकर के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें वोट देने के लिए अयोग्य करार दिया था। अब इस मामले में अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी। कांग्रेस की ओर से पैरवी कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने 9 बागी विधायकों की सदस्यता को रद्द करने का अनुरोध किया। केंद्र सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सिंगल बेंच के अंतरिम आदेश पर स्टे की मांग की थी। रोहतगी का कहना था कि जब तक इस मामले पर पूरी सुनवाई नहीं हो जाती, 31 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने से संबंधित फैसले पर स्टे लगाया जाए। इसके अलावा कांग्रेस भी बागियों को सदन में मतदान करने के अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा फिर से खटखटाया था। कांग्रेस बागियों को सदन में मौजूद रहने और उसे वोटिंग का हक देने के फैसले से खुश नहीं है, ऐसे में कांग्रेस इस फैसले के खिलाफ डिविजनल बेंच में अपील कीं
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