देहरादून। राज्यपाल के सख्त रूख के बावजूद भी यमुना नदी में अवैध खनन रूकने का नाम नहीं ले रहा है। खनन माफियाओं के हौसल अभी भी बुलंद हैं। यमुना नदी में खनन कर रहे माफियाओं पर जब प्रशासन ने कार्रवाई की तो वह अपने वाहनों को लेकर हिमाचल की सीमा में चले गए। ऐसे में प्रशासन के समक्ष सीमित विकल्प रह गए हैं। प्रशासन ने इसके बाद भी अवैध खनन में लिप्त टैªक्टर-ट्रालियों को जब्त कर कार्रवाई की।
पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार पर अवैध खनन को लेकर तमाम आरोप लगते रहे हैं। सरकार की हीलाहवाली के कारण अवैध खनन करने वालों के हौसले बुलंद हैं। कई खनन माफियाओं के ऊंचे रसूख के आगे पुलिस प्रशासन बौने नजर आते थे। यही कारण था कि खनन माफिया नदियों का सीना चीर रहे थे। विकासनगर क्षेत्र में यमुना नदी में अवैध खनन धड़ल्ले से जारी था। परंतु राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद हालात बदलने की उम्मीद की जा रही थी। इसी क्रम में राज्यपाल ने अवैध खनन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश प्रशासन और पुलिस को दिए थे। जिस पर अमल भी शुरू हुआ और प्रशासन ने पुलिस के साथ मिलकर अवैध खनन कर रहे लोगों को दबोचने का काम शुरू किया। जिसमें उसे आंशिक सफलता भी मिली। परंतु क्षेत्र की सीमा हिमाचल प्रदेश से लगी होने के कारण अवैध खनन करने वाले कई लोग कार्रवाई के दौरान अपने वाहन हिमाचल की सीमा में चले गए। जिसके चलते प्रशासन को मन मसोसकर रह जाना पड़ा। अवैध खनन से जुडे़ लोग इसका बखूबी फायदा उठा रहे हैं। पूर्व में भी जब खनन माफियाओं पर कार्रवाई की जाती थी तो उस समय भी वह अपने वाहनों को लेकर हिमाचल की सीमा में प्रवेश कर जाते थे। बताया जाता है कि यमुना नदी से जुड़े क्षेत्र में जब भी पूर्व में खनन माफियाओं पर किसी अफसर ने शिकंजा कसना शुरू किया तो उसे तबादले के रूप में अपने कर्तव्य की कुर्बानी देनी पड़ी। कई बार खनन माफियाओं ने अपनी हिमाकत दिखाते हुए अधिकारियों को टैªक्टर ट्रालियों से कुचलने का भी प्रयास किया। उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद खनन माफियाओं की कमर टूटेगी और उनके द्वारा यमुना और उसकी सहायक नदियों में किए जा रहे अवैध खनन पर रोक लगेगी।