रणनीति बनाने में जुटे बागी विधायक

हरक, बहुगुणा ने साधा हरीश रावत पर निशाना
देहरादून। दिल्ली प्रवास के बाद देहरादून पहुंचे कांग्रेस के बागी विधायकों ने अपने भविष्य को लेकर रणनीति बनानी आरंभ कर दी है। बागी विधायक अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर फिक्रमंद दिखाई पड़ रहे हैं। उन्हें डर सताने लगा है कि अब उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा। इसके लिए उन्होंने अभी से तैयारियां करनी आरंभ कर दी है और इसके तहत सलाह-मशविरे को दौर जारी है।
उत्तराखण्ड मे बदले राजनीतिक हालातो के बाद अब बागियो को भविष्य की चिन्ता सताने लगी है। इसके लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के यमुना कॉलोनी आवास पर काग्रेस के बागी विधायको ंने बैठक कर आगामी रणनीति तय की। इस दौरान हरक के आवास पर शैलेन्द्र मोहन सिंघल को छोडकर 8 विधायक मौजूद रहें। बागियो के लिए ये बैठक काफी महत्वपूर्ण रही लेकिन हरक मुताबिक ये सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात थी हरक ने बागियांे के भविष्य को लेकर कहा कि समय आने पर उचित फैंसला किया जोयगा। और क्षेत्र की जनता से पूछ कर किया जायेगा। इस अवसर पर हरक सिंह रावत ने कहा कि कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई थी और विकास कार्य नेपथ्य में चले गए थे। जनता त्राहिमाम कर रही थी। इसी कारण उन्होंने सरकार से अलग होने का फैसला किया। सरकार को केवल चुनिंदा लोग चला रहे थे। जबकि लोकतंत्र में सभी को साथ लेकर चलने की परंपरा है। विधायकों और मंत्रियों को अपने क्षेत्रों में जनता के सवालों का जबाव देना भारी पड़ रहा था। उन्होंने कहा कि नेता के भविष्य का फैसला जनता करती है न कि हरिश रावत करेगेें। हरक ने बागियो के सुनबाई पर 11 अप्रैल के कोर्ट के फैसले को स्वागत किया। हरीश रावत की पद यात्रा पर भी हरक ने चुटकी ली और कहा कि पहले उन्हे पद यात्रा निकालने दो और फिर हम सब उनकी राजनीति की अन्तिम यात्रा निकालेगें।बागियो की कमान सम्भाल रहें पूर्व सीएम विजय बहुगुणा ने भी हरीश रावत पर निशाना साधाते हुए कहा कि प्रदेश में अब हरीश रावत की सरकार नही बनेगी। राष्ट्रपति शासन पर बहुगुणा ने कहा कि इससे पहले भी कई प्रदेशो में राष्ट्रपति शासन लग चुके है। बहुगुणा ने इशारों ही इशारों में कहा कि प्रदेश मे जल्द की एक सरकार बनेगी जिसके नेतृत्व मे चुनाव होगें। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की कारगुजारियों को लेकर उन्हें कई बार कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से गुहार लगाई। परंतु हर बार उनकी बात को अनसुना कर दिया गया। ऐसे में उनके व अन्य कांग्रेस विधायकों के समक्ष कोई विकल्प शेष नहीं रह गया था। बहुगुणा ने कहा कि हरीश रावत का रवैया तनाशाही था और वह किसी की नहीं सुनते थे। यहां तक कि उन्होंने मंत्रियों को काम करने की आजादी नहीं दी और न ही विधायकों की सुनवाई होती थी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का गला घोंटने का काम हरीश रावत ने मुख्यमंत्री के रूप में रहते हुए बखूबी किया और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।

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