ढ़ीला-ढ़ाला गाऊन जिसे नाइटी कहते हैं, उसे महिलाएं घर में काम करते हुए यो सोते हुए पहनती हैं। पहनने में आरामदायक नाइटी महिलाओं को साड़ी से ज्यादा सहज लगती है लेकिन एक गांव के बड़े-बूढ़ों को महिलाओं को दिन में नाइटी पहनकर घूमना पसंद नहीं है।
पिछले नौ महीने से आंध्रप्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले की महिलाओं ने आरामदायक नाइटी पहनना बंद कर दी है। इसका कराण है गांव के कुछ बड़े-बुजुर्गों का फरमान जिसमें कहा गया है कि नाइटी केवल रात में पहनने के लिए होती है। तोकालापल्ली गांव के नौ बड़े-बुजुर्ग की एक कमिटी ने निर्देश दिए है कि गांव की कोई भी महिला सुबह 7 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच ‘नाइटी’ नहीं पहन सकतीं। अगर कोई भी महिला इस नियम का उल्लंघन करती है तो उसके लिए कमिटी ने 2000 रुपए का जुर्माना निर्धारित कर दिया है। इतना ही नहीं इस कमिटी ने उन लोगों के लिए 1000 रुपए का इनाम रखा है जो ऐसी महिलाओं की खबर दे जिसने दोपहर में नाइटी पहनी हो। अगर नाइटी पहनी हुई महिलाएं जुर्माना नहीं देती है तो बड़े-बुजुर्ग उसके सामाजिक बहिष्कार की धमकी देते हैं। लेकिन गांव की सरपंच महालक्ष्मी ऐसा नहीं मानती। वह कहत हैं कि महिलाएं नाइटी पहनकर खुले में कपड़े धोती हैं, दुकान से सामान लाने चली जाती हैं, मीटिंग में आ जाती हैं, तो यह गलत है। गांव की महिलाओं में से कुछ ने ही इस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी लेकिन इसे फॉलो न करने वालों पर कोई प्रतिबंध या जुर्माना नहीं लगाया है।