नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में कुछ सीटों को छोड़कर ज्यादातर सीटों पर उम्मीदवारों के नाम सामने आ चुके हैं। दो नवंबर को भाजपा ने जब उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की तब ब्रजेंद्र प्रताप सिंह के नाम अचानक सुर्खियां में आ गया। ब्रजेंद्र को पवई सीट से भाजपा का टिकट मिला जिसके बाद वे चुनाव प्रचार में कूद पड़े। ब्रजेंद्र इस सीट से 2008 में जीते थे जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस फैसले ने राज्य के कृषि राज्य मंत्री को हैरत में डाल दिया जिन्हें पार्टी ने 50 किलोमीटर दूर पन्ना से प्रत्याशी बनाया है। इस फैसले पर पार्टी सूत्रों का कहना है की आतंरिक रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय कार्यकर्ता कांग्रेस के ब्राह्मण उम्मीदवार के मुकाबले ब्राह्मण को टिकट नहीं दिए जाने से नाराज थे। इसको देखते हुए भाजपा ने सिंह की जगह पर ओबीसी समुदाय के नेता प्रह्लाद लोधी को चुना। इस निर्वाचन क्षेत्र में ओबीसी वर्ग की खासी संख्या है।
राजनीति के दूसरे ध्रुव पर भी जाति ने उम्मीदवारों के चयन में बड़ी भूमिका निभाई। कांग्रेस ने बुधनी से अरुण यादव (ओबीसी) को शिवराज सिंह चौहान (किरार) के मुकाबले खड़ा किया। पार्टी का लक्ष्य गैर किरार मतदाताओं को इकठ्ठा करके बुधनी में जीत दर्ज करने की है। दोनों ही प्रमुख पार्टियों, भाजपा और कांग्रेस ने टिकट बंटवारे में जातीय समीकरण का भली भांति ख्याल रखा है।