तीन महीने में 42 लोगों ने मौत को लगाया गले

 लुधियाना। अभिभावकों से जिद, पढ़ाई के चलते मानसिक तनाव और साथियों के प्रति असहनशीलता ने किशोरों में आत्महत्या की प्रवृति को बढ़ा दिया है। पिछले दो दिन के दौरान लुधियाना में दो किशोरों ने जिद के चलते आत्महत्या कर अपनी जान दे दी। अगर पिछले सवा तीन महीने के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो कमिश्नरेट के अंर्तगत आते क्षेत्र में कुल 42 लोगों ने मौत को गले लगाया। उनमें से जान देने वाले 9 किशोर और स्कूली छात्र थे।मनोचिकित्सक डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि टीन एजर्स के दिमाग की वर्किंग अब टीनएजर्स न रह कर बालिग जैसी हो गई है। इंटरनेट के कारण उनका दिमाग अब रेस्टलेस हो गया है। इसके चलते बच्चे तनाव में रहने लगे हैं। उनका खर्च, डिमांड और उम्मीदें पहले से ज्यादा बढ़ चुकी हैं। जिन्हें वो हैंडल नहीं कर पा रहे हैं। छोटी सी समस्या आने पर भी बड़े घातक कदम उठा लेते हैं। माता-पिता को चाहिए कि जैसे ही उन्हें बच्चे के व्यवहार में बदलाव नजर आए, उसे छिपाने की बजाय उसकी पहचान करें। बच्चों पर पढ़ाई, खेल और सोशल मीडिया का प्रेशर कम करना बेहद जरूरी है। आज के बच्चे को हर चीज चाहिए। यह सामाजिक झुंझलाहट है, जो नजर आ रही है।सिविल अस्पताल में बच्चों के माहिर डॉक्टर हरप्रीत सिंह का कहना है कि माता-पिता को बच्चों पर खास ध्यान देने की जरूरत है। वे बच्चों से ऐसा व्यवहार बनाकर रखें कि वह अपनी हर छोटी से छोटी बात उनके साथ शेयर करे। अगर उन्हें लगे कि उनके बच्चों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। उनका बच्चा छोटी-मोटी बातों से मरने की धमकियां दे रहा है तो इसे गंभीरता से लें। इस विषय में डॉक्टर से बात कर उनकी सलाह लें। तभी इससे बचा जा सकता है।

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