दिनदहाड़े 15 लाख के स्वर्ण आभूषणों की लूट के बाद अफसरों के सवालों का जवाब देना दून पुलिस के लिए मुश्किल

देहरादून। फाइनेंस कंपनी में दिनदहाड़े हुई लूट की सनसनीखेज वारदात ने पुलिसिंग और कानून व्यवस्था का जिस तरह से मखौल उड़ाया, उससे पुलिस अफसरों के माथे पर शिकन आना लाजिमी है। 13 नवंबर को मेरठ के सर्राफ पिता-पुत्र से 15 लाख के स्वर्ण आभूषणों की लूट के बाद फाइनेंस कंपनी की वारदात से आला अफसरों के सवालों का जवाब देना भी दून पुलिस के लिए मुश्किल हो गया है। यही वजह रही कि शनिवार को एसएसपी ने शहर के सभी दस थानों की फोर्स को इस वारदात के खुलासे के लिए लगा दिया गया है।

लूट की वारदात की चुनौती का जवाब देने के लिए एसएसपी ने शनिवार को शहर के सभी थानेदारों की आपात बैठक बुलाई। उन्होंने कहा कि हाईटेक संसाधनों के साथ मुखबिर तंत्र को अलर्ट किया जाए और रेलवे, बस स्टेशन से लेकर राजपुर रोड के आसपास लगे एक-एक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को बारीकी से चेक किया जाए। साथ ही फाइनेंस कंपनी में अक्सर आने वाले लोगों की भी लिस्ट तैयार कर उन सभी की वारदात के दिन की गतिविधि के बारे में पता लगाने को कहा गया है। एसएसपी ने बताया कि सभी टीमों को अलग-अलग काम सौंपा गया है।

कंपनी में तैनात किए गए गार्ड

लूट की वारदात के बाद शनिवार को कंपनी ने सुरक्षा गार्डों की तैनाती कर दी। पुलिस का मानना है कि कंपनी में यदि पहले से गार्ड रहा होता तो संभव था कि इतनी बड़ी वारदात न होती। क्योंकि सुरक्षा गार्ड ऐसी स्थिति-परिस्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित होते हैं।

इन सवालों के पुलिस ढूंढ रही जवाब

गोल्ड फाइनेंस कंपनी में घुसे बदमाशों को बाहर की गतिविधियों की जानकारी कौन दे रहा था, कवर देने के लिए कोई बाहर तो नहीं था।
एक कर्मचारी ने अपने टैबलेट के नीचे छिपाई थी लॉकर की दूसरी चाबी, फिर क्यों नहीं ढूंढ पाए लुटेरे।
कंपनी में वारदात के दौरान आई महिला ग्राहक और अन्य लोगों के शरीर के गहनों को छुआ तक नहीं, न ही किसी का पर्स टटोला।
आसपास के दुकानदारों ने वारदात के दौरान हुआ शोर-शराबा क्यों नहीं सुना।
कॉम्प्लेक्स के अन्य दुकानदारों ने बदमाशों को आते-जाते क्यों नहीं देखा।
लुटेरों के सुराग को तीन राज्यों में भेजी टीम

फाइनेंस कंपनी में दिनदहाड़े हुई लूट की वारदात के तार गाजियाबाद, जयपुर और पानीपत से भी जुड़ते दिख रहे हैं। दरअसल, इन तीनों शहरों में कुछ ही महीने पहले इसी तरह लूट की वारदात को अंजाम दिया जा चुका है। इन सभी मामलों का पुलिस ने सभी जिलों से ब्योरा मंगाकर उनका परीक्षण किया और उसमें शामिल बदमाशों के सत्यापन के लिए तीन अलग-अलग टीमें इन शहरों के लिए रवाना कर दी हैं।

बता दें, कि शुक्रवार को राजपुर रोड स्थित आइआइएफएल गोल्ड लोन कंपनी में चार हथियारबंद बदमाशों ने वहां के कर्मचारियों और ग्राहकों को दो घंटे तक बंधक बनाकर रखा और एक सोने की चेन और पचास हजार रुपये कैश लूट कर ले गए। बदमाशों ने इस दौरान कंपनी के स्ट्रांग रूम में रखे लॉकर को भी तोड़ने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। इस लॉकर में दस करोड़ से अधिक का सोना और कैश रखा हुआ था।

हाल के वर्षों में यह अब तक की सबसे दुस्साहसिक वारदात रही, जिसने पूरे पुलिस तंत्र को खुली चुनौती दे डाली है। प्रारंभिक जांच में पुलिस लुटेरों के किसी शातिर गैंग के सदस्य होने के साथ अंदरखाने की मिलीभगत को लेकर बारीकी से पड़ताल कर रही है, लेकिन कॉम्प्लेक्स के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों से ऐसा कोई सुराग नहीं मिला है, जिससे बदमाशों की पहचान में मदद मिल सके।

कंपनी की विजिलेंस टीम भी पहुंची

फाइनेंस कंपनी की विजिलेंस टीम भी शनिवार को देहरादून पहुंची और घटना के बाबत पुलिस से बातचीत की। एसपी सिटी पीके राय ने बताया कि पूर्व में हुई इस तरह की घटनाओं के बारे में पूरा ब्योरा मांगा गया है।

कर्मचारियों की मांगी सूची

आइआइएफएल के राजपुर रोड स्थित ब्रांच में वर्ष 2011 से अब तक तैनात रहे सभी कर्मचारियों की सूची भी पुलिस ने जल्द से जल्द उपलब्ध कराने को कहा है। वारदात में पेशेवर अपराधियों का हाथ होने की संभावना के साथ पुलिस घटना से जुड़े हर पहलू पर गौर कर रही है।

क्राइम सीन का किया री-क्रिएशन

एसपी सिटी पीके राय की अगुआई में पहुंची पुलिस टीम ने वारदात का मिनट-टू-मिनट री-क्रिएशन किया। पुलिस ने इसके जरिए बदमाशों की कंपनी में एंट्री से लेकर बंधक बनाने और भागने तक के सीन का बारीकी से निरीक्षण किया। एसपी सिटी ने बताया कि कुछ चीजें ऐसी पकड़ में आई हैं, जो बदमाशों तक पहुंचने में मदद कर सकती हैं।

लुटेरों की तलाश को दून पुलिस ने मुंबई में डाला डेरा

मेरठ के सर्राफा कारोबारी पिता-पुत्र से बीते 13 नवंबर को 15 लाख रुपये कीमत के गहने लूटने वाले आरोपितों की पहचान लगभग हो चुकी है। बदमाशों के मुंबई होने के प्रमाण मिले हैं, जिसके बाद से दून पुलिस ने मुंबई में ही डेरा डाल दिया है। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि वारदात का जल्द ही खुलासा कर दिया जाएगा।

विदित हो कि जंतीवाड़ा, मेरठ निवासी मितुष रस्तोगी 13 नवंबर को आभूषणों का सैंपल दिखाने और आर्डर लेने देहरादून आए थे।

इसी दिन दोपहर सवा बजे के करीब घंटाघर स्थित इलाहाबाद बैंक के पास पहुंचे तो एक व्यक्ति उनके पास आया और खुद को पुलिसकर्मी बताकर कहने लगा है कि उसके साहब दूसरी ओर खड़े हैं। उनके बैग की चेकिंग की जानी है। जिसके बाद उसने उनका बैग लिया, जिसमें सोने और हीरे के करीब 15 लाख रुपये के जेवर थे। इस बीच बाइक पर सवार दो लोग पहुंचे और बैग लेकर फरार हो गए।

एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि घंटाघर और चकराता रोड पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में दिख रहे संदिग्धों की फोटो और फुटेज के आधार पर बदमाशों की पहचान लगभग कर ली गई है। उन सभी के मुंबई में होने की जानकारी सामने आने के बाद कोतवाली पुलिस की एक टीम को यहां से रवाना कर दिया गया है। टीम वहां मुंबई पुलिस के साथ बदमाशों की तलाश में लगी है।

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