देहरादून। उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू फैलाने वाला वायरस एच-वन एन-वन अब दिन-ब-दिन घातक होता जा रहा है। इसकी चपेट में आने वाले मरीजों की जान सांसत में है। स्वाइन फ्लू के कारण प्रदेश में एक और मरीज की मौत हो गई है। यह बीमारी अब तक दस मरीजों की जान ले चुकी है।
जानकारी के अनुसार, पटेलनगर स्थित श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती 36 वर्षीय महिला की मौत स्वाइन फ्लू के कारण हो गई है। महिला को सोमवार को अस्पताल में भर्ती किया गया था। मरीज को पिछले दस दिन से तेज बुखार, कफ व सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि देहरादून निवासी महिला की स्वाइन फ्लू से मौत हुई है। वहीं, मैक्स अस्पताल में दो, दून अस्पताल में एक व श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती दो मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है।
उन्होंने बताया कि अब तक 24 मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से दस की मौत हो चुकी है। नौ का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जबकि पांच उपचार कराकर जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि तीन मरीज सिनर्जी, एक मैक्स और पाच श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती हैं।सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों को स्वाइन मरीजों के लिए अलग से व्यवस्था एवं समुचित उपचार देने के लिए निर्देशित किया गया है।
नाक के जरिये गले तक पहुंचता है वायरस
स्वाइन फ्लू का वायरस नाक के माध्यम से गले तक पहुंचता है। गले में संक्रमण के बाद यह रोग आगे बढ़ता है। अगर हम गुनगुने पानी में नमक मिलाकर गरारे करें तो इस रोग को शुरुआत में ही रोका जा सकता है। इससे गले में चिपके बैक्टीरिया व वायरस साफ हो जाते हैं।
मोबाइल फोन से भी वायरस का खतरा
मोबाइल फोन, टेलीफोन, कलम, खिलौने जैसी चीजें भी स्वाइन फ्लू का कारण बन सकती हैं। इसलिए मोबाइल, कलम आदि वस्तुएं परिवार और दोस्तों से साझा न करें। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए हाथों को साबुन से धोएं। खासी जुकाम होने पर अक्सर लोग मुंह पर हाथ रख लेते हैं। जिस कारण वायरस हाथ से चिपक जाते हैं।
हाथ से मोबाइल, टेलीफोन, कलम, दरवाजों के हैंडल सहित कुछ भी छूने पर वायरस उसके संपर्क में आ जाते हैं। उन संक्रमित चीजों को जब कोई दूसरा आदमी छूता है तो स्वाइन फ्लू के वायरस उस व्यक्ति के शरीर में चले जाते हैं।