फर्जी नियुक्ति के मामले में दून अस्पताल प्रशासन भी कठघरे में

देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में फर्जी नियुक्ति ने अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यह वाकया नया नहीं है। पूर्व में भी मुख्य चिकित्साधिकारी के नाम से कई युवक-युवतियों को फर्जी नियुक्तियां देकर पहचान पत्र जारी कर दिए गए थे। इन्हें अलग-अलग अस्पतालों में तैनाती भी दे दी गई। फर्जीवाड़ा तब खुला, जब ये लोग तैनाती स्थल पर पहुंचे। बता दें, फर्जी नियुक्तियों का खुलासा होने के बाद कुछ युवाओं ने इस मामले को लेकर तत्कालीन सीएमओ का घेराव भी किया था। वह अब दून अस्पताल में वरिष्ठ सर्जन के रूप में कार्यरत हैं। मामला संज्ञान में आने के बाद उन्होंने नीलम नाम की एक महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इधर, दून अस्पताल में जिस महिला ने फर्जी नियुक्ति की हैं, वह भी अपना अलग-अलग नाम नीलम, श्रुति और ममता बताती है। पूर्व सीएमओ डॉ. वाईएस थपलियाल द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में पुलिस ने दून अस्पताल प्रशासन को भी पत्र भेजा था। यह पूछा था कि क्या नीलम नाम की महिला अस्पताल में तैनात है। पर अस्पताल प्रशासन ने इस नाम की किसी महिला स्टाफ के अस्पताल में तैनात न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।अस्पताल प्रशासन ने अपनी तरफ से कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। बताया जा रहा है कि उसके बाद भी महिला एप्रन पहनकर कई बार अस्पताल परिसर में देखी गई है। हद ये कि अस्पताल प्रशासन ने तमाम फर्जी पहचान पत्र की छायाप्रति जरूर रख ली है, पर कार्रवाई के लिए अब भी लिखित शिकायत का इंतजार कर रहा है। उधर, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि अस्पताल में नीलम नाम की कोई महिला कर्मचारी नहीं है। पुलिस को यह लिखित रूप में बता दिया गया है। पीड़ित युवतियों से लिखित में शिकायत मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। फर्जी नियुक्ति के मामले से अस्पताल प्रशासन चाहे जितना पल्ला झाड़ ले, पर अस्पताल में बाहरियों का दखल बढ़ता जा रहा है। ताज्जुब यह कि इनमें अधिकांश लोग डॉक्टरों के ही केबिन में डेरा डाले रहते हैं। यहां तक की ऑपरेशन में प्रयुक्त कई सामान डॉक्टर बाहर से मंगा रहे हैं। मरीज को यह सामान खुद लाने की इजाजत नहीं है। ऐसा करने पर डॉक्टर की नाराजगी उन्हें झेलनी पड़ती है। यह सामान बिचौलिए मनमाने दाम पर उपलब्ध करा रहे हैं। अस्पताल प्रशासन कार्रवाई का दावा जरूर करता है, पर इन घटनाओं पर लगाम फिर भी नहीं लग रही। अब एक बार फिर इसे लेकर फरमान जारी किया गया। मरीजों से इंप्लाट बाहर से मंगाने पर प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना व चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि लगातार इसकी शिकायत मिल रही हैं।

 

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