विधानसभा में ये दो विधेयक हुए पेश

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन विपक्ष के हंगामे के बीच दस फीसद आरक्षण और  हिमालयीय विश्वविद्यालय विधेयक सदन में पेश कर दिए गए। जहरीली शराब कांड को लेकर कांग्रेस ने दूसरे दिन भी सदन का बहिष्कार किया।आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो के लिए दस फीसद आरक्षण लागू करने संबंधी अध्यादेश सत्र के दूसरे दिन सरकार ने विधानसभा पटल पर रखा। सरकार ने गत पांच फरवरी को यह अध्यादेश जारी किया था। अध्यादेश में लाभार्थियों की पात्रता और इसे लागू न करने पर अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का व्यक्ति योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिता में सामान्य वर्ग के साथ चयनित होता है तो उसे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाएगा।सदन में संसदीय मंत्री प्रकाश पंत ने उत्तराखंड लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए आरक्षण) अध्यादेश सदन में पेश किया। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि सरकारी सेवाओं में राज्य के उन स्थायी निवासियों को आरक्षण मिलेगा, जो अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण की मौजूदा योजना में शामिल नहीं हैं। यह आरक्षण ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के व्यक्तियों पर लागू होगा, जिनके परिवारों की सभी स्रोत से कुल वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होगी। इस स्रोतों में कृषि, व्यवस्था व पेशा आदि से प्राप्त आय सम्मिलित होगी। आय का आधार लाभार्थी द्वारा आवेदन के वर्ष के पूर्व वित्तीय वर्ष की आय को बनाया जाएगा। हालांकि, जिन लोगों के पास पांच एकड़ या उससे अधिक जमीन, एक हजार वर्ग फुट या उससे अधिक स्थान पर बना भवन, अधिसूचित नगर पालिकाओं में 100 वर्ग गज या उससे अधिक का आवासीय भूखंड और अधिसूचित नगर पालिकाओं के अलावा अन्य क्षेत्रों में 200 वर्ग गज या उससे अधिक का भूखंड होगा, वे इसके दायरे में नहीं आएंगे।अध्यादेश में आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णो को आरक्षण देने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। इसका उल्लंघन करने अथवा इसे विफल करने के आशय से काम करने वाले दोषसिद्ध अधिकारी को तीन माह तक का कारावास व बीस हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह अध्यादेश वहां लागू नहीं होगा, जहां चयन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। यानी, जहां लिखित परीक्षा अथवा साक्षात्कार हो चुका है।राज्य को शिक्षा हब के रूप में विकसित करने और शिक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने सदन में हिमालयीय विश्वविद्यालय विधेयक 2019 पेश किया। विधेयक में कहा गया है कि इसका उद्देश्य शिक्षा में अभिनव प्रयोग, अध्यापन और ज्ञानोपार्जन की नवीन पद्धति को लागू करना, सामाजिक व आर्थिक रूप से वंचित वर्ग को शिक्षा प्रदान करना तथा रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराना है। स्ववित्त पोषित इस विश्वविद्यालय में आयुष शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक अध्ययन व शोध कार्य, आयुष, तकनीकी, प्रबंधकीय, मेडिकल, विज्ञान, मानविकी, हिमालयीय अध्ययन, शिक्षा व पत्रकारिता के क्षेत्र में अध्ययन व अध्यापन का कार्य कराया जाएगा। विधेयक में विश्वविद्यालय की शक्तियों व इसके ढांचे का पूर्ण विवरण दिया गया है।हरिद्वार जिले में हुए जहरीली शराब कांड को लेकर कांग्रेस सदन से लेकर बाहर तक आक्रामक रही। सदन से वाकआउट करने के बाद कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते हुए आए और फिर परिसर में सीढि़यों पर धरना दिया। वे हाथों में सरकार के इस्तीफे की मांग से संबंधित तख्तियां भी लिए थे। कांग्रेस विधायकों का कहना था कि जहरीली शराब प्रकरण में जिन लोगों की मौत हुई, उनमें अधिकांश अनुसूचित जाति से हैं। उनकी अब तक कोई मदद सरकार ने नहीं की है।

 

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