बजट सत्र में सरकार को दबाव में लेने से चूक गई कांग्रेस

देहरादून।लोकसभा चुनाव से पहले बजट सत्र, किसानों, युवाओं, महिलाओं, ढांचागत विकास को केंद्र में रखकर लोक-लुभावन योजनाएं। यानी लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य सरकार ने बजट सत्र के बहाने अपने चुनावी एजेंडे को पेश कर डाला। दूसरी ओर, राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस जहरीली शराब से मौत से सरकारी तंत्र पर उठते सवालों के बीच सरकार की घेराबंदी से लेकर सियासी माहौल को अपनी ओर मोड़ने के अवसर का सदुपयोग नहीं कर सकी। आठ दिन चले सत्र के दौरान प्रश्नकाल हो अथवा शून्यकाल या बजट पर चर्चा, कांग्रेस पर अंतर्विरोध ज्यादा हावी रहे। प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए लोकसभा चुनाव प्रतिष्ठा का सबब बना है।भाजपा के सामने राज्य और केंद्र में बहुमत की सरकार होने के चलते उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है। वहीं कांग्रेस को अपना सियासी वजूद बचाए रखने के लिए लोकसभा सीटों को अपने पाले में खींच लाने की निर्णायक जंग लड़नी है।यही वजह है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले सरकार ने मौके का फायदा उठाने के लिए बजट सत्र का दांव खेला। लोकसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने के चलते दो साल पूरे करने का जश्न मनाने से महरूम सरकार ने बजट सत्र में राज्यपाल अभिभाषण और गुलाबी बजट के जरिये अपनी ख्वाहिश पूरी कर डाली।वहीं बजट सत्र शुरू होने से पहले कांग्रेस के हाथ जहरीली शराब का संवेदनशील मुद्दा हाथ लगा। इस मुद्दे पर शुरुआती दौर में ही बैकफुट पर नजर आ रही सरकार को दबाव में रखने को लेकर सदन में कांग्रेस में जोश नदारद रहा।विधानसभा सत्र में कांग्रेस का अधिकतर वक्त वाकआउट में जाया तो हुआ, लेकिन इस कवायद में भी सियासी गर्मी नदारद रहने से कांग्रेसी हलकों में अब बेचैनी साफ दिख रही है। कांग्रेस ने बामुश्किल तीन दिन प्रश्नकाल में मौजूदगी दर्ज कराई, लेकिन इस दौरान भी मंत्रियों पर विपक्ष की तुलना में सत्तापक्ष के विधायक ज्यादा भारी पड़े।बजट चर्चा में जैसे-तैसे भाग लेने के बावजूद कांग्रेस सदन के भीतर सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब होती नहीं दिखाई दी। सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को सरकार के खिलाफ स्टिंग और लोकायुक्त का मुद्दा कांग्रेस ने उठाया जरूर, लेकिन यह खानापूरी तक सिमटकर रह गया।यह दीगर बात है कि बजट सत्र के दौरान सदन के बाहर गन्ना किसानों व जहरीली शराब के मुद्दे के साथ बजट को लेकर सरकार पर हमला बोलने में पूर्व मुख्यमंत्री एवं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत मुखर रहे।

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