देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति विभाग (महिला अस्पताल) में दुष्कर्म पीड़िता को उपचार नहीं मिलने के आरोपों पर प्राचार्य ने सीएमएस से जवाब तलब किया है। साथ ही सीएमएस से ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों एवं कर्मियों के लिखित दर्ज करने को भी कहा गया है।बुधवार देररात टिहरी की दुष्कर्म पीड़िता मासूम को दून महिला अस्पताल में लाया गया था। आरोप है कि यहां तैनात चिकित्सकों एवं स्टाफ ने पुलिस में मामला दर्ज बाद उपचार देने की बात कही थी। जबकि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश है कि उपचार देने में विलम्ब या मना नहीं किया जा सकता। बताया गया कि इस मामले में एसपी सिटी श्वेता चौबे के हस्तक्षेप के बाद मासूम को उपचार मिल सका। हालांकि, गुरुवार को मेडिकल होने के बाद परिजन उसे ले गए थे। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी से इस संबंध में जवाब मांगा गया है। लापरवाही सामने आने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में दुष्कर्म पीड़िता के उपचार में देरी व डॉक्टर-कर्मचारियों के व्यवहार से क्षुब्ध उत्तराखंड नवनिर्माण सेना व अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को अस्पताल परिसर में प्रदर्शन किया। उन्होंने तमाम अव्यवस्थाओं को लेकर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का घेराव भी किया। अस्पताल की व्यवस्थाएं जल्द न सुधारे जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी उन्होंने दी।शुक्रवार को विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता अस्पताल परिसर में एकत्र हुए और सांकेतिक प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। लेकिन यहां उन्हें अनेक मुसीबतों से दो-चार होना पड़ता है। अस्पताल में तैनात चिकित्सकों, पैरा मेडिकल स्टाफ व अन्य कार्मिकों का व्यवहार भी मरीजों के प्रति खराब रहता है। महिला अस्पताल में कभी प्रसव फर्श पर हो रहा है तो कभी उपचार के अभाव में जच्चा-बच्चा की ही मौत हो जा रही है। कुछ दिन पहले टिहरी की दुष्कर्म पीड़िता चार वर्षीय मासूम को चिकित्सकों ने उपचार देने में देरी की। कहा गया कि जब तक पुलिस कार्रवाई नहीं होती, वह तब तक उपचार नहीं करेंगे। इससे पहले अस्पताल में बच्चा बदले जाने का मामला भी सामने आया है। वहां तैनात स्टाफ की लापरवाही का खामियाजा दो नवजातों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने दोषी स्टाफ पर सख्त कार्रवाई की मांग की।