पिथौरागढ़: पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम की मार किसानों पर भारी पड़ रही है। रबी की फसल पर इसका सबसे अधिक असर पड़ रहा है। तापमान नहीं मिलने से रबी की फसल की बढ़त प्रभावित हो रही है। मार्च अंत तक भी मौसम में सुधार नहीं हुआ तो रबी के उत्पादन में कमी आना तय है।
सीमांत जिले पिथौरागढ़ में 32 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई जाती है। इससे आधे क्षेत्रफल में जौ और मसूर बोया जाता है। फसल के बेहतर उत्पादन के लिए मार्च माह में औसत तापमान लगभग 25 से 28 डिग्री सेंटीग्रेट चाहिए, लेकिन वर्तमान में तापमान 20 से 23 डिग्री सेंटीगे्रट के बीच चल रहा है। जिले में मार्च प्रथम सप्ताह से ही बारिश हो रही है। बरसात के चलते तापमान बढ़ नहीं पा रहा है। जिसके चलते गेहूं, मसूर और जौ की पौध बढ़ नहीं पा रही है। पौध के विकास में कमी से किसान परेशान हैं। मुवानी घाटी के उन्नतशील काश्तकार गंभीर सिंह कठायत ने बताया कि मार्च माह में उत्पादन के लिए जरू री तापमान नहीं मिल पा रहा है। इससे गेहूं, मसूर आदि की पौध नहीं बढ़ पा रही है। मार्च माह में घाटी वाले क्षेत्रों में गेहूं और मसूर की पौध में दाना तैयार होने लगता था, लेकिन इस वर्ष पौध में अब तक दाना नहीं लगा है। इन क्षेत्रों में मई माह में फसल कटने लगती है। मूनाकोट के उन्नतशील काश्तकार रघुवीर सिंह भी मौसम की मार से परेशान हैं। उनका कहना है कि आज से लगभग डेढ़ दशक पूर्व भी मार्च माह में ऐसा ही मौसम देखने में आया था, उस वर्ष उत्पादन 40 प्रतिशत तक सिमट गया था।
मार्च अंत तक तापमान नहीं
धीरेंद्र जोशी, कृषि विशेषज्ञ, पिथौरागढ़ ने बताया कि गेहूं, मसूर जौ उत्पादन के लिए मार्च में 25 से 28 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है, लेकिन इस वर्ष तापमान काफी कम है, मार्च अंत तक तापमान नहीं सुधरता है तो उत्पादन में गिरावट आ सकती है।