देहरादून। एक शख्स को दस साल की नौकरी के बाद जब निकाल दिया गया तो उसने पत्र लिख राज्यपाल से इच्छामृत्यु की मांग कर ली। तो वहीं एक शख्स ऐसा भी है जिसके हाथ में सचिवालय का नियुक्ति पत्र है, बावजूद इसके वो दर-दर भटक रहा है। ये दोनों मामले व्यवस्था तंत्र पर सवाल खड़े कर रहे हैं। पहला मामला है अल्मोड़ा जिले का। यहां के निवासी प्रेमराम ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिख इच्छा मृत्यु की मांग की है। प्रेमराम का आरोप है कि बाल विकास विभाग ने दस साल की नौकरी करने के बाद उन्हें हटा दिया है। इस मामले में मंत्री ने दोबारा नौकरी पर रखने के आदेश दिए। मगर, मंत्री के आदेशों को भी विभाग के अधिकारियों ने अनदेखा कर दिया।दरअसल, अल्मोड़ा में पिछले दस साल से बाल विकास विभाग में तैनात प्रेमराम को 2017 में नौकरी से हटा दिया गया। नौकरी पर दोबारा बहाली की मांग को लेकर वह आंदोलनरत हैं। छह मार्च 2019 से प्रेमराम नौकरी की मांग को लेकर परेड ग्राउंड में धरने पर बैठे हैं। शुक्रवार को प्रेमराम ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। जिसमें प्रेमराम ने कहा कि अगर सरकार उनको नौकरी नहीं दे सकती तो इच्छा मृत्यु दे दें। इधर, प्रेमराम के इच्छा मृत्यु संबंधी पत्र मिलने के बाद प्रशासन और पुलिस में हड़कंप मचा हुआ है।