देहरादून।ऊर्जा निगम की कार्यप्रणाली का भी जवाब नहीं है। सालभर विभाग सोया रहता है, लेकिन जैसे ही तापमान अपने चरम पर पहुंचने लगता है, विभाग को मेंटेनेंस की याद आ जाती है। फिर मेंटेनेंस की आड़ में विभाग की ओर से घंटों बिजली कटौती की जाती है। जिससे गर्मी में उपभोक्ताओं को बिना बिजली के काफी परेशानी उठानी पड़ती है। विभागीय अधिकारियों की माने तो पिछले कई सालों से मेंटेनेंस का यही शेड्यूल तय किया है। लिहाजा, हर साल अप्रैल, मई और सितंबर में मेंटेनेंस का काम किया जाता है।गर्मियों में वैसे ही उपभोक्ताओं को घंटों बिजली कटौती से जूझना पड़ता है। ऊपर से ठीक गर्मी शुरू होते ही ऊर्जा निगम की ओर से शुरू किए जाने वाले तारों, ट्रांसफार्मर, लॉपिग-चॉपिंग आदि मेंटेनेंस के कार्य के चलते उपभोक्ताओं को और परेशानी उठानी पड़ती है।
मेंटेनेंस के नाम पर विभाग की ओर से पांच से छह घंटे तक की कटौती की जाती है, जिससे भरी गर्मी में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। विभागीय अधिकारियों की माने तो मेंटेनेंस का एक शेड्यूल बना हुआ है, जिसके हिसाब से अप्रैल, मई और सितंबर में मेंटेनेंस का कार्य किया जाता है।
ऊर्जा निगम के प्रवक्ता और मुख्य अभियंता एके सिंह ने बताया कि यह शेड्यूल वर्षों से चल रहा है। इससे पहले कर्मचारी वसूली आदि के कार्य में व्यस्त रहते हैं। इसलिए अप्रैल में ही अधिकतम मेंटेनेंस का कार्य किया जाता है। कहा कि प्रबंध निदेशक ने इस बार मेंटेनेंस का कार्य तेजी से शुरू करने के लिए कहा है। इससे कि उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना न करना पड़े।