जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक शुक्रवार की सुबह पुलिस को चकमा दे दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में पहु्चने में कामयाब रहे। वह वहां नमाज ए जुम्मा के बाद एक राष्ट्रविरोधी रैली की अगुआई करने वाले हैं।
इस बीच, अलगाववादियों द्वारा बंद के आहवान के चलते पांच दिनों बाद आज एक बार फिर कश्मीर में सामान्य जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया। प्रशासन ने हुर्रियत द्वारा सरफेसी अधिनियम व पश्चिमी पाक रिफ्यूजियाें को अधिवास प्रमाणपत्र के मुददे पर प्रदर्शनों के आहवान को देखते हुए सभी संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी है।
उल्लेखनीय है कि अलगाववादियों ने शुक्रवार और शनिवार को कश्मीर बंद का एलान करते हुए लोगों से नमाज-ए-जुम्मा के बाद पूरी वादी में पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों को अधिवास प्रमाणपत्र जारी करने व राज्य में सरफेसी अधिनयम को लागू करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए कहा है।
बंद का असर सुबह से ही वादी के विभिन्न हिस्सों में नजर आने लगा।सभी दुकानें ओर व्यापारिक प्रितिष्ठान बंद रहे। सार्वजनिक वाहनों की आवाजाही भी बीते दिनों से बहुत कम रही। सिर्फ निजी वाहन और गली बाजारों में रेहडी- फडी वालों की तादाद ही बंद के असर को कम बना रही है।
आतंकियों को पकड़ने गए सुरक्षाबलों पर स्थानीय लोगों ने किया पथराव
जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित संबूरा पांपोर में शुक्रवार की सुबह उस समय स्थिति तनाव पूर्ण हो गई,जब आतंकियों की धरपकड के लिए घेराबंदी शुरु कर रहे सुरक्षाबलों पर स्थानीय लोगों ने पथराव शुरु कर दिया। स्थिति पर काबू पाने के लिए सुरक्षाबलों को भी बल प्रयोग करते हुए कथित तौर पर हवा में गोली भी चलानी पडी। हालांकि अधिकारिक तौर परपुष्टि नहीं हुई है,लेकिन बताया जा रहाहे कि गांव में छिपे आतंकी ग्रामीणों की मदद से सुरक्षित भाग निकले हैं। इस खबर के लिखे जाने तक संबूरा में सुरक्षाबलों और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़पें जारी थी। अन्य विवरण प्रतीक्षारत हैं।